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सद्गुरु कौन है और गुरु की आवश्यकता – भाग-2

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सद्गुरु कौन है और गुरु की आवश्यकता – भाग-2

 भक्त जन कल वाली चर्चा को ही आगे बढ़ाएंगे | गुरु – कल हमने कहा था साक्षात् भगवान् होता है | गुरु से आप बात कर सकते हैं, मूरत से नहीं | गुरु आपको कोई चीज बता सकता है, मूरत नहीं | गुरु आपकी बात को सुन सकता है, मूरत नहीं | गुरु साक्षात् देवता है जो आपके सामने रहता है और देवता इसलिए है क्योंकि वह देता है, ज्ञान देता है | गुरु का क्या काम है ? वैसे तो हमने कल बहुत विस्तार में बताया कि गुरु का ये काम है और शिष्य का ये काम है | पर बात बहुत है, इतना सा बात नहीं है केवल |

माटी शिष्य कुम्हार गुरु – शिष्य मिटटी है और गुरु कुम्हार है | कुम्हार जानते हैं, मिटटी से जो बर्तन बनाता है, चीज बनाता है, मूर्ती बनाता है, खिलौना बनाता है, वो कुम्हार है |

माटी शिष्य कुम्हार गुरु, करे न कछु संकोच | पीसे साने रात दिन तब पैदा होवे लोच |

माटी शिष्य कुम्हार गुरु – शिष्य को ऐसे समझिये जैसे मिटटी और गुरु को ऐसे समझिये जैसे कुम्हार | अब कुम्हार मिटटी के साथ कौन चीज करे है ? वो गुरु, जब वो मिटटी मिल जाती सामने, कुम्हार को, तब कुम्हार तनिक भी देर नहीं लगाता, सोचे नहीं, संकोच नहीं करे कि कैसे हम मिटटी को हाथ लगाए, हमारा हाथ सन जाई, हमारा हाथ खराब हो जाई | कुम्हार ये सब नहीं सोचे | उसको तो गलाना है, मूरत बनाना है | ऐसे ही, करे न कछु संकोच, वो गुरु जो है, जब शिष्य सामने आ जाता है तो संकोच नहीं करता | ये नहीं सोचता कि अरे ये तो कच्छु नहीं जाने | ये बड़ा मामूली आदमी है, हम बड़ा ज्ञानी है | हम क्यों बात करें इस से | क्यों इस से मगजमारी करें हम | हमको कौन फायदा होई | ये सब गुरु नहीं सोचे | गुरु जब काम करे अपना मस्ती में करे | अपने में डूब के करे है |

माटी शिष्य कुम्हार गुरु, करे न कछु संकोच | पीसे साने रात दिन तब पैदा होवे लोच |

कोई मन में संकोच नहीं रखता कि लोग क्या कहेंगे, ऐसे लोगों से बात करता है ये, ऐसे लोगों के साथ बैठता है ये | कभी ये संकोच नहीं करे | गुरु, फिर कौन चीज करे ? पीसे साने रात दिन – कुम्हार क्या करता है मिट्टी का | मिट्टी को पीस कर के बारीक बनाई उसमें अगर कंकर होई तो उसको निकाल के बाहर करी, मिट्टी को glaze करे फिर, फिर उसमें पानी मिलाई और उसको माढ़े, जैसे आटे में पानी मिला के उसे गूंथता, ऐसे गूंथे उसको | सानता उसको आटे की तरह से |  पीसे साने रात दिन – उस शिष्य को वो पीसता है | उस शिष्य को सानता है वो | लगातार, रात-दिन माने लगातार | इसका ये meaning नहीं कि रात को जगो और जग के करे इस काम को | नहीं |

पीसे साने रात दिन तब पैदा होवे लोच – तब जा कर के उस मिट्टी में लोच पैदा होती है | लोच जानो – softness. जिस से कोई चीज मुड़ सके, जहाँ से मोड़ना चाहे, वहां से मुड़ सके, जैसा मूरत बनाना चाहे वैसा मूरत बना सके | अगर उसको साने नहीं, उसमें पानी नहीं डाले, उसे बारीक नहीं करे, उसमें से कंकर नहीं निकाले, उसमें से मोटी मोटी चीज निकाल कर के अलग नहीं करे तो मूरत नहीं बना सके है | गुरु भी यही करता है कुम्हार की तरह से | शिष्य तो मिट्टी की तरह से है अब वो उसको पीसता है, पीसता है | कैसे पीसता है गुरु शिष्य को ? शिष्य के भीतर जो अभिमान भरा है | अभिमान कौन सा भरा होता है ? कल बताया आदमी Assume करता है, Presume करता है, आदमी Illusion रखता है अपने भीतर, भरम पालता है | गुरु उस सब भरम को निकाल निकाल के बाहर करे पहले तो | वो बतावे कि Assume नहीं करो | Wait करो, पेशेंस रखो, समझो, truth जब सामने आ जाये तब कोई अपना Opinion बनाओ, जल्दी नहीं करो Opinion बनाने में और जो पहले से Wrong Opinion बने हैं, जो Illusion भरा है, जो भरम भरे हैं, गुरु उनको निकाल निकाल कर बाहर करे | पीसता है शिष्य को, बड़ा तकलीफ होए जब कोई पीसे, बड़ा दुःख लगे | जब भरम टूटे बड़ा तकलीफ होए, जब गुरु भरम तोड़े तो अच्छा नहीं लगे शिष्य को | शिष्य को लगे कि ये कौन चीज करता है ? ये तो बताता है कि सब wrong तुम जो जानता है | आदमी तो ये समझता है कि हम जो जानता है वो Right है, गुरु बतावे कि सब wrong है, इसको निकालो | पीसता है, फिर साने | फिर उस मिट्टी में पानी जैसे मिलाता है कुम्हार वैसे ही गुरु फिर उसमें ज्ञान डालता है | ज्ञान तभी जाई बुद्धि के अन्दर जब बुद्धि के अन्दर जो भरम भरा है वो बाहर निकल जाई | पहले से बर्तन भरा है तो उसमें कोई चीज डालो तो उसमें जाएगा नहीं, निकल जाएगा, बाहर ही रह जायेगा | पहले बरतन को खाली करना पड़ेगा | दिमाग को खाली करना पड़े, Pure करना पड़े, साफ़ करना पड़े | तो गुरु का काम है –

पीसे साने रात-दिन, तब पैदा हो लोच |

तब उस शिष्य में, जैसे उस मिट्टी में लोच पैदा हो जाती है, मुड़ने के लिए softness आ जाये, ऐसे ही उस शिष्य का जो stubbornness है, शिष्य के भीतर जो अभिमान है, वो ख़तम हो सकता है तब वो बात जो दूसरा कहता है, सुन सकता है | आदमी तो एक ही आँख से दुनिया को देखे | एक ही Vision रखे, गुरु बतावे कि नहीं जिस vision से तुम देखता, जिस Angle से तुम देखता चीजों को अब जरा दूसरे Angle से देखो तब वोही चीज दूसरा तरह का दिखाई दे | आप मेरे सामने बैठे हैं, आप मुझे देख रहे हैं, अब Angle Change करें, आप इधर आ कर के मुझे देखें तो मेरा ये कान नहीं दिखाई देगा | सामने से तो दोनों दीखते हैं, पर इधर से एक ही दिखाई देगा और जब उधर से इधर आ जाओ तो दूसरा दिखाई नहीं देगा, ये दिखाई देगा, ये वाला दिखाई नहीं देगा | पीछे चला जाओ तो चेहरा नहीं दिखाई देगा | आप किसी चीज को fully देखना मांगो तो उसको हर Angle से देखना पड़ेगा | पर हम कौन चीज करता ? वो शिष्य कौन चीज करता वो एक आँख से, एक ही Angle से देखता है सब चीज को | वो मानता, भरम पालता, कि इस चीज में सुख है, इस चीज में दुःख है, ये सुन्दर है, ये असुंदर है | दुनिया में कोई चीज सुन्दर नहीं है, कोई चीज असुंदर नहीं है | कौन चीज सुन्दर है कौन चीज असुंदर है ? हम कल बताया कोई सुख नहीं है कोई दुःख नहीं है | हम मान लिया है कि इस चीज में सुख है इस चीज में दुःख है | Really कहीं सुख दुःख नहीं है |

एक रोज हम लोग Movie देखता रहा | मेरा wife बैठा, चार लडकन है मेरा, सब लडकन बैठा | Movie था मुग़ल-ए-आज़म | बड़ा पुराना India का Movie रहा | टीवी पर आता रहा, सब कोई बैठा देख रहा था, मैं भी बैठा था | अब उसमें एक डांस आता मधुबाला उसमें डांस करती, परदा नहीं जब कोई खुदा से बन्दों से परदा करना क्या | वो गान गाई और डांस करे तो मेरा वाइफ बोली – “ओ ! मधुबाला से ज्यादा सुन्दर कोई नहीं | सबसे ज्यादा सुन्दर Actress |” वो अपना बात पूरा नहीं किया, मेरा वाइफ, तब तक मेरा बड़ा बेटा बोलता “हे मम्मी ! कौन तुम बुढिया को लेके बैठा है, मधुबाला को ले के, हेमामालिनी सबसे ज्यादा सुन्दर है |” उसका बात पूरा नहीं हुआ तब तक मेरा Second Son बोलता कि “अरे भाईसाहब ! आप कौन मोटी की बात करता हेमामालिनी की | श्रीदेवी सबसे ज्यादा सुन्दर है |” मुझे बड़ा मजा पकड़ा उनकी बात में | मैं अपने Third Son से पूछा कि तुम बताओ कौन सबसे ज्यादा सुन्दर है ? वो बताया “पापाजी, सबसे ज्यादा सुन्दर है माधुरी दीक्षित क्योंकि M F Hussein, जो world का सबसे Famous Artist रहा, चित्रकार रहा वो उसके ऊपर चित्र बनाया, उसके ऊपर Movie बनाया |” मैं अपने Fourth Son से पूछा कि तुमको कौन सबसे सुंदर लगता है ? बताया “ऐश्वर्या राय सबसे ज्यादा सुन्दर है, विश्व सुंदरी है |” अब सब लडकन और मेरा Wife मुझसे पूछे कि अब आप बताओ कौन सब से ज्यादा सुन्दर है | हम उनको बताया कि तुम्हारी बात सुन कर के तो हमें ऐसा लगे जैसे दुनिया में कोई सुन्दर है ही नहीं | अगर एक भी सुन्दर होता तो सबको सुन्दर लगता भाई ! एक को एक सुन्दर लगता है, दूसरे को दूसरा सुन्दर लगता है, तीसरे को तीसरा सुन्दर लगता है और चौथे को चौथा सुन्दर लगता है, पांचवे को पांचवा सुन्दर लगता है इसका मतलब है वास्तव में कोई सुन्दर नहीं है | Reality ये है कि हम सुन्दरता को impose करते किसी के ऊपर | हम मान लेते कि ये सुन्दर है |

हिंदुस्तान में पतला, तोते जैसा नाक बड़ा सुन्दर समझा जाए लेकिन चीन में चपटा और मोटा नाक सुन्दर समझा जाये | हिन्दुस्तान में पतला पतला लाल लाल होठ बड़ा सुन्दर समझा जाए, अफ्रीका में मोटा मोटा, लटका हुआ, बड़ा बड़ा होठ सुन्दर समझा जाये | What a Pity !!! सुन्दरता कौन चीज है ? सुन्दरता तो कहीं नहीं है | किसी जगह के लोग किसी चीज को सुन्दर मानते हैं किसी और जगह के लोग किसी और चीज को सुन्दर मानते हैं | किसी परिवार के लोग किसी चीज को सुन्दर मानते हैं और किसी अलग परिवार के लोग किसी और चीज को सुन्दर मानते हैं और कोई आदमी किसी चीज को सुन्दर मानता है और कोई दूसरा आदमी किसी और चीज को सुन्दर मानता है |

हमारे यहाँ हिंदी में एक बड़ी पुरानी कहावत है – “दिल आया गधी पर तो परी क्या चीज है ?” अगर आपको गधी सुन्दर लग रही है तो वही सुन्दर है | इसका मतलब है कि सुन्दरता कहीं नहीं है | आप उसको impose करते हैं, आपका जिस चीज में Interest है आपको वो सुन्दर लगता है |

समय समय सुन्दर सबे, रूप-कुरूप न कोय | जाकी जित जेती रूचि, तित तेती रूचि होय ||

कोई सुन्दर नहीं है इस दुनिया में, कोई असुंदर नहीं है इस दुनिया में | ये आपके Taste पर निर्भर करता है | हर आदमी का Taste अलग होता है, हरेक के लिए सुन्दर अलग होता है, असुंदर अलग होता है | तो हम ये भरम पालते हैं कि ये सुन्दर है ये असुंदर है, ये सुख है ये दुःख है, ये सब भरम है | गुरु का काम है कि पहले पीसे, सब भरम को पीस पीस के खलास ! निकाल दे, सफा कर दे | ये गुरु का काम है |

माटी शिष्य कुम्हार गुरु, करे न कछु संकोच – ऐसे ही शिष्य को भी कोई संकोच नहीं करना चाहिए | पहले हम संकोच करते हैं, किसी से प्रश्न पूछने में, किसी ज्ञानी आदमी से कोई मिल जाये तो मन में प्रश्न आये, पूछना मांगे है लेकिन इसलिए नहीं पूछता कि लोग क्या कहेंगे | सोचता है कि कोई कहेगा अरे ! इसको इतना भी नहीं आता | ये इतना छोटा सा बात पूछता | कोई इसलिए प्रश्न नहीं पूछता कि लोग हमको बेवकूफ समझे | ये संकोच करते हैं | गुरु और शिष्य के बीच में संकोच नहीं होना चाहिए, शर्म नहीं होती | अगर गुरु से आप अपना अज्ञान छिपाएंगे, ज्ञान कभी नहीं प्राप्त होगा | डॉक्टर के पास जाओ और उसको अपना बीमारी नहीं बताओ, छिपाओ बीमारी, तब कभी ठीक नहीं हो सकते | ऐसे ही गुरु के पास जा कर के अपना अज्ञान बताओ कि हमको ये नहीं मालूम, हम ये नहीं जानता, हम ये चीज जानना मांगे, तब ज्ञान मिली | गुरु डॉक्टर है, जैसे डॉक्टर बीमारी को बाहर निकल कर फेंके, गुरु आपके भीतर जो अज्ञान भरा है, जो भरम भरा है उसको बाहर निकल कर फेंके | ये गुरु का काम है | गुरु शब्द का अर्थ हमने कल बताया – Great ! महान ! जो महान है, Great है, वही गुरु है | किसी तरह की greatness हो उसमें | ज्ञानी आदमी की greatness क्या है ? ज्ञानी आदमी जानता कि कहीं कुछ है ही नहीं | न कहीं सुन्दर है, न असुंदर है | ज्ञानी आदमी जानता है कहीं सुख नहीं है, कहीं दुःख नहीं है | ज्ञानी आदमी जानता कोई चीज अच्छा नहीं कोई चीज बुरा नहीं |

हम हिन्दू है, हम महाभारत पढ़ा | आपको बताता हूँ, मजे की चीज | महाभारत पढ़ा, उसमें हम देखा कि जितना पांडव रहा, पांच पांडव, पांडव इसलिए कहे क्योंकि पांडू की संतान थे पर महाभारत में हम पढ़ा कि पांच पांडवों में से एक भी पांडू से पैदा नहीं था | पांडू के जीवनकाल में कुंती इंद्र से अर्जुन को पैदा की, यमराज से युधिष्ठिर को पैदा की, वायु देवता से भीम सेन को पैदा की | पांडू से एक भी पैदा नहीं हुआ और पांडव कहलाते हैं | दूसरा पत्नी रहा पांडू का माद्री, उसके भी दो लड़के रहा, नकुल और सहदेव | वो अश्विनीकुमारों से पैदा हुए | पांडू से एक भी पैदा नहीं हुआ | हम सोच में पड़ गया, What is Right ? What is Wrong ? पाप कौन चीज है और पुण्य कौन चीज है ? चक्कर खा गए | द्रौपदी के पांच पति रहे, कोई उसको वैश्या नहीं बताया, कोई उसको कुल्टा नहीं बताया | खुद भगवान् कृष्ण उसको बहन मानते रहे | हाँ ! एक बार दुर्योधन उसको वैश्या बताया, एक बार कर्ण उसको वैश्या बताया | सब पांडव मिलकर के उस दुर्योधन को मार दिए और भीमसेन ने उसको मार कर उसका खून पिया |

अब सोचो ! What is Right ? What is wrong ? पाप क्या है ? पुण्य क्या है ? क्या कुंती पापिन थी ? नहीं थी ! हमारे यहाँ उसे पञ्च कन्याओं में, पांच सतियों में गिना जाता है | हमारे यहाँ बताया गया है कि सुबह उठते ही, सीता का नाम लो, कुंती का नाम लो, सुबह उठते ही द्रौपदी का नाम लो ! काहे भाई ? कोई ख़राब नहीं बोला | लेकिन आज, आज अगर कोई पांच पति कर ले तो लोग क्या कहेंगे उसे ? कुल्टा नहीं बताएँगे !!! कौन चीज पाप है ? कौन चीज पुण्य है ? ये समय समय पर लोगों की Thinking है कि मान लेते हैं कि ये चीज Wrong है, ये चीज Right है |

किसी जगह के लोग कुछ मानते हैं और किसी दूसरी जगह के लोग कुछ और मानते हैं | यहाँ के लोग मानते है कि तलाक (Divorce) ले लीजिये, कुछ नहीं होई, हिंदुस्तान में लोग सोचते कि Divorce लो तो बड़ा भरी पाप हो जाई | Thinking है !!! हम अपनी Thinking से दुनिया में सब चीजें Create करते वास्तव में इस दुनिया में कहीं कुछ है ही नहीं | हमारा वेद बताता है की सत्यम ब्रह्म, जगत मिथ्या | अगर सच है अगर इस दुनिया के अन्दर तो वो केवल एक है और वो है ब्रह्म | God is Truth, Truth is God. ये वेद बताते हैं और दुनिया कौन चीज है ? वेद बताते हैं, जगत मिथ्या, पूरा दुनिया झूठा | इस दुनिया में सत्य कहीं है ही नहीं | हमको दुनिया दिखावे अच्छा-बुरा, सुन्दर-असुंदर, पाप-पुण्य,  अपना-पराया, सही-गलत, कहाँ है इस दुनिया में ??? हमें तो कहीं नहीं दीखता | हम देखा है, दुनिया में लोग बतावे ये हमारा भाई है, हमारा है, अपना है लेकिन हम देखा कि भाई के ऊपर जब संकट आया तो भाई रोवे और बड़ा भाई बिलकुल नहीं रोवे | वो बताता है कि हाँ, अब पता लगी तुझको, ख़ुशी मनावे | हम देखा है इस दुनिया में और हम ये भी देखा कि लोग Movie देखते और movie में हीरो रोता और हीरो के साथ साथ वो भी रोते | हम सोचता कि वो हीरो, जो आदमी movie देख देख कर रोता है वो हीरो उसका कौन रिश्तेदार लगता है, कौन relation में लगता ? कौन सा वो अपना हो गया, जो उसके रोता और जो Real में अपना भाई है, जिस से खून का रिश्ता है उसके लिए नहीं रोया !!! कौन अपना है और कौन पराया है इस संसार के अन्दर | कुछ भी नहीं !!! Fake. Everything is fake in this Universe.

गुरु यही भरम दूर करे है, जो हम भरम पाले हुए है कि ये अच्छा है ये बुरा है, ये अपना है, ये पराया है, ये सुन्दर है, ये असुंदर है, ये सुख है, ये दुःख है | अरे सब हम अपने सोचने से Create करते हैं |

मैं कल उदाहरण दिया रहा कि कैसे हमारा grandson आकर हमारे कंधे पर चढ़ कर हमारी मूछें खींचे, बाल पकड़ कर खींचे, चश्मा खींचे और हम खुश होवे और उन्ही मूछों को हमारा neighbor खींच दे तो झगडा हो जाये, हमें ख़राब लगी, बुरा लगी, दुःख लगी | अब सोचो कि मूंछ खीचने में सुख कि दुःख ?

 अब सोचिये कि फिर feel काहे होता ये सुख दुःख जब है ही नहीं | Feel हमारी Thinking से होता है, सोचने से होता है | जब Grandson मूंछ खीची, बाल खींची तब हम सोचता – बच्चा है, नासमझ है, Innocent है. अपना है | जब neighbor खींची तब सोचता – सब जानता है, innocent नहीं है, अपना नहीं है, इसको कोई right नहीं है मूंछ खींचने का, पराया है | हमारे विचारों से सुख और दुःख पैदा होते हैं, वास्तव में कहीं सुख दुःख नहीं है और मजे की बात ये कि आदमी हमेशा दुःख Create करे, सुख Create करना मांगे ही नहीं और फिर बताता है कि भगवान् हमको सुख नहीं देता | भगवान् को गलत बतावे, अपने भीतर नहीं झांकता कि अपने से सोच सोच के दुखी होता | Negative Thoughts रखता | आप देखते हैं कि आप जिस को सबसे ज्यादा प्यार करो, love करो, Always उसके बारे में उतना ही ज्यादा ख़राब सोचता आदमी | लड़कों से प्यार करे, लड़का जरा घर से निकल जाये कहीं | रात को नहीं लौटे, आपको चिंता होई | अरे ! कहीं फँस नहीं गया होई, कहीं Accident न हो गया होई | जाने कौन कौन चीज सोच ले | एक भी Positive बात दिमाग में नहीं आई, एक भी अच्छा बात दिमाग में नहीं आई, सब ख़राब बात ही दिमाग में आई | Habit है, हमारा interest दुःख में है | सुख में तो मजा नहीं पकडे | ये Wrong habit जो तुमको पड़ा है उसको पीसे साने रात-दिन, तब पैदा होय लोच | लोच पैदा करता है और बताता है कि ये सोचने का तरीका right नहीं है | दूसरा Angle से भी देखो चीज को, पॉजिटिव Angle से भी देखो चीज को, Always Negative Angle से नहीं सोचो | ये गुरु बतावे, गुरु का काम ये है |

 आपको able बनाये, योग्य बनाये कि आपके भीतर ज्ञान आवे | ज्ञान आपके भीतर लेन के पहले सफाई करना पड़े | ये है गुरु का काम |

 टीचर प्रीचर गुरु नहीं – हाँ, बड़े लोग सोचते हैं कि ये प्रीचर है, प्रीच कर रहा है, बड़ा भारी ज्ञानी होई | No

टीचर प्रीचर गुरु नहीं, न मास्टर उस्ताद – बहुत से लोग सोचते ये हमारा मास्टर है ये हमारा गुरु है | बहुत से लोग उस्ताद बनाते हैं, मुसलमानों में, सोचते हैं ये गुरु हैं | No.

टीचर प्रीचर गुरु नहीं, न मास्टर उस्ताद | गुरु की पूजा प्रथम कर, प्रभु की पूजा बाद |

गुरु की पूजा पहले करो और प्रभु की पूजा बाद में और टीचर, प्रीचर, मास्टर, उस्ताद ये गुरु नहीं हैं | टीचर आपको पढाता है, subject, matter. जिस विषय का टीचर होगा, वो वही विषय पढ़ायेगा | Arithmetic का टीचर आपको Philosophy नहीं पढ़ाई और फिलोसफी का टीचर आपको mathematics नहीं पढ़ाई | Physics का टीचर आपको chemistry नहीं पढ़ाई और Chemistry का टीचर आपको Physics नहीं पढाई | उसका field of knowledge सीमित है, टीचर का, वो गुरु नहीं हो सके है  और प्रीचर, प्रीचर आपको बताई कि ये करो ये नहीं करो | हनुमान जी की ladies पूजा नहीं करो, Gents पूजा करो | Ladies को हमेशा left में बैठना चाहिए, ये प्रीचर बताई, ये प्रीचर का काम है | प्रीचर आपको बतावे कि ये करो, ये नहीं करो | वो गुरु नहीं है | मास्टर भी गुरु नहीं है | मास्टर कौन चीज करे आप जानो – ringmaster. शेर को भी नचावे, घोड़े को भी नचावे, हंटर हाथ में लेके | जो आदमी हंटर मारे वो मास्टर है | वो भी गुरु नहीं है | जो उस्ताद होवे भारत में, पाकिस्तान में | उस्ताद भी बनाया जाये | उस्ताद का मतलब है कि आप कोई चीज सीखना मांगो जैसे मोटर मैकेनिक बनाना मांगो, तो school नहीं जावे मोटर मैकेनिक बनने के लिए, उस्ताद बना लेवे | जो कोई सीनियर मोटर मैकेनिक होवे, उसके पास जाके, उसका सेवा करे और उस से सीख लेवे | उसे उस्ताद कहें | वो भी गुरु नहीं है क्योंकि वो उतना ही सिखाई जितना वो जानता है |

तो फिर गुरु कौन है ? गुरु वो है जो ultimate truth को जाने | गुरु वो है जिसका जो जो truth बताई, जो जो principals बताई वो universal principal बताई वो always हर देश में, हर जात में, हर Religion में, Right होई, Wrong नहीं हो सके | उसको कभी भी check कर सको, उसकी बात को | गुरु कभी इस बात की परवाह नहीं करे कि हम किसी को ज्ञान दे | गुरु परवाह नहीं करता, पर टीचर परवाह करी कि ये सीखा की नहीं सीखा, प्रीचर परवाह करी कि ये follow करता कि नहीं करता, मास्टर परवाह करी इस बात का कि ये नाचता कि नहीं नाचता हमारे हंटर पर और अगर नहीं नाचता तो फिर हंटर मारी ऐसे ही उस्ताद भी परवाह करे लेकिन गुरु परवाह नहीं करे | क्योंकि गुरु जानता है कि knowledge, ज्ञान transferable property नहीं है | ज्ञान कोई किसी को दे नहीं सकता, गुरु जानता है इस बात को | फिर कौन चीज दिया जाये ? विद्या दिया जा सके |

विद्या और ज्ञान दो अलग अलग चीज हैं | आप physics पढता, Chemistry पढता, mathematics पढता, literature पढता, language पढता, all these are विद्या | ज्ञान नहीं है ये | लोग सोचते हैं कि हम जो कुछ पढ़ लिया, जो कुछ जान लिया, जो कुछ सुन  लिया यही ज्ञान है | ये ज्ञान नहीं है, ये विद्या है | टीचर विद्या देता है, ज्ञान नहीं देता | ज्ञान केवल गुरु के पास होवे है और गुरु जानता है कि ज्ञान Transferable नहीं होवे है, गुरु जानता है कि ज्ञान हम दे नहीं सके है | तब गुरु कभी घमंड नहीं करे इस बात का कि हम ज्ञानी है, हम ज्ञान देता है किसी को | गुरु कभी अपने ज्ञान पर घमंड नहीं करी | गुरु का Quality होवे कि कभी अपने शिष्य पर गुस्सा नहीं होए | गुरु को गुस्सा नहीं आये लेकिन प्रीचर को गुस्सा आ जाये | वो यहाँ खड़ा हो कर कुछ प्रीच करे और आप नीचे से कोई प्रश्न पूछ लेयो कि काहे left में बैठे lady husband के ? वो बताई कि no, ये हमारा Religion है | Follow करो इसको, प्रश्न नहीं करना, ये तो Faith की चीज है | गुस्सा कर रहे हैं | प्रीचर गुस्सा हो सके, टीचर गुस्सा हो सके, मास्टर गुस्सा हो सके, उस्ताद गुस्सा हो सके, गुरु कभी गुस्सा नहीं हो सके क्योंकि गुरु जानता है कि गुस्सा से कुछ होए नहीं | गुरु जानता कि गुस्सा तो पागलपन है | गुस्सा काहे feel होए ? काहे गुस्सा करे आदमी ? आदमी गुस्सा तब करे जब आदमी को लगता है की ये हमको दुःख देता है, तब आदमी बदले में उसको दुःख देना मांगता | ये गुस्सा है | कोई हमको गाली निकाला, हम भी बदले में उसको गाली निकाला या उसको पंच कर दिया | यानी अगर हमारा feeling hurt किया कोई तो हम भी बदले में उसका feeling hurt करना मांगे या हम उसका body hurt करना मांगे ताकि उसको hurt feel हो | ये बदले की जो इच्छा है यही गुस्सा है  | गुरु जानता है कि ये जो ऐसा बोलता, मूरख है इसलिए बोलता, ताकि उसे गुस्सा नहीं लगे | गुस्सा तब लगता उसको जब हम ये feel करते कि ये आदमी जान कर ऐसा कर रहा है | गुस्सा तब feel होता है | मैंने बताया आपको कि बच्चा जब मूंछ खींचता तो अच्छा लगता, गुस्सा नहीं आता लेकिन पडोसी मूंछ खींचे तो गुस्सा लगे क्योंकि हम सोचते की ये जो कर रहा है वो जान कर कर रहा है, ये सब जानता है, मूंछ खींचने का मतलब जानता है | गुरु जानता है कि अपनी thinking से फीलिग create होवे | feeling से Emotion Create होवे इसलिए गुरु वो thinking ही नहीं बनाता जिससे उसके अन्दर Wrong feeling हो या Wrong उसके भीतर Emotion create हो | गुरु को गुस्सा नहीं आता |

आपने रामायण में पढ़ा होगा उत्तरकाण्ड में काकभुशुण्डी जी के पास गरुण जी पहुंचा, रामायण का रहस्य समझने के लिए | रहस्य जानते हैं ? जो motive है रामायण के पीछे, रामायण के पीछे जो message है, उस message को जानने के लिए | लोग रामायण तो पढ़ते लेकिन उसका message नहीं जानते | उस message को जानने के लिए गरुण जी काकभुशुण्डी की पास पहुँचा | प्रश्न उत्तर हुए क्योंकि ज्ञान तभी मिली जब discussion होई, बिना discussion के ज्ञान नहीं मिली | अमृत तब मिले जब मथा जाये, माखन तब निकले जब दही को आप बिलोये, ऐसे ही नहीं निकल आये मक्खन | Discussion होने लगा, उस discussion में गरुण जी एक प्रश्न पुछा काकभुशुण्डी जी से, सबसे पहला प्रश्न किया, मुझसे भी प्रश्न करते हैं, वो प्रश्न था कि काकभुशुण्डी जी आपको इतना ज्ञान कैसे प्राप्त हुआ ? बहुत लोग प्रश्न पूछते मुझे कौन किताब पढ़ा पंडित जी, हमको भी बताईये | ढेर जन प्रश्न करता | तो वो पूछा, सबसे पहला प्रश्न ये किया गरुण जी ने काकभुशुण्डी जी से, आपको इतना ज्ञान कैसे हुआ ? काकभुशुण्डी ने बताया कि हमको ये ज्ञान कई जन्म में मिला है | एक जन्म में नहीं मिला | धीरे धीरे ज्ञान इकठ्ठा होता है | धीरे धीरे ज्ञान Collect किया जाता है, ज्ञान Transfer नहीं होता | ज्ञान अर्जित करना पड़ता है, कमाना पड़ता है ज्ञान |

अपने एक जन्म की कथा सुनाये काकभुशुण्डी, बताये कि एक जन्म में मैं ब्राह्मण का बालक था | अपने गुरु के पास गया पढने लिखने के लिए हम | गया कि गुरु ज्ञान दे मुझको, गुरु के पास गया | गुरु हमको बताया कि शंकर भगवान् का जाप करो ज्ञान के लिए | जाओ शिवालय में बैठो, शंकर भगवान् के पास जाओ और जाप करो | बताये रहे –

एक बार हर मंदिर, जपत रहो शिव नाम – रामायण में लिखा है कि काकभुशुण्डी जी बताते हैं कि मैं एक बार शंकर जी के मंदिर में बैठ कर शिव शिव शिव शिव जाप कर रहा था भगवान् शंकर का |

एक बार हर मंदिर, जपत रहो शिव नाम, गुरु आये अभिमानवश उठ नहीं कीन प्रणाम |

जब मैं जाप कर रहा था भगवान् शंकर का, ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय कर रहा था भगवान् शंकर की मूरत के सामने बैठकर के, उसी time गुरु जी आ गया हमारा | मैंने उठ कर गुरु जी को प्रणाम नहीं किया | काकभुशुण्डी जी बताते हैं गरुण को रामायण में | बताया कि हम उठ कर प्रणाम नहीं किया गुरु जी को, क्यों ? क्योंकि हम सोचता रहा कि शंकर भगवान् का जाप करने से ज्ञान मिली तो गुरु कौन चीज है फिर इन का क्या काम है | काम तो भगवान् शंकर से है इसलिए भगवान् शंकर हमारे काम का, हम उसका जाप करी | गुरु से कोई मतलब नहीं इसलिए उसको प्रणाम करने की कोई जरूरत नहीं | आजकल बहुत लोग सोचते हैं कि इस से हमारा क्या काम पड़ी ? हमें तो भगवान् मिल गया, भगवान् का जाप करी, गुरु ने हमको बता दिया अब गुरु का कोई काम नहीं | काकभुशुण्डी बताया कि हम अभिमान के कारण, ये illusion रहा उनका कि शंकर भगवान् का जाप करे से उद्धार हो जाई | बोले मेरा गुरु इस बात से गुस्सा नहीं हुआ, काकभुशुण्डी जी बतावे, कि गुरु गुस्सा नहीं हुआ क्योंकि गुरु वही है जो गुस्सा नहीं करे |

देखिये इंद्र ने भी, कल मैंने कथा सुनाया आपको, इंद्र ने भी अपने गुरु बृहस्पति से जाकर कहा कि कुछ ऐसा उपाय कीजिये कि ये राम और भरत आपस में मिलने नहीं पावें | कितना खराब बात लेकर गुरु के पास गया | गुरु को बुरा नहीं लगा, गुरु हंसा | हंस के बताया कि अरे मूरख, तू जो चीज सोचता वो wrong सोचता | इससे तेरा भला नहीं होई | गुर कभी गुस्सा नहीं करी | बृहस्पति भी गुस्सा नहीं किये इंद्र पर | ये भी गुस्सा नहीं किए काकभुशुण्डी जी बतावे कि मेरा गुरु तो गुस्सा नहीं किया, गुरु तो वहां से चला गया | अब कौन चीज हुआ ?

मंदिर माहीं भाई अभिवाणी – रामायण में लिखा है कि मंदिर के बीच में आकाशवाणी हुई | रेखत भाग्य अधम अभिमानी – अरे अभिमानी ! अरे धूर्त ! अरे घमंडी अभिमानी ! कितनी बड़ी बातें कह दी, बोले कि तू गुरु को प्रणाम नहीं किया, जाप करने में लगा रहा | आकाशवाणी से भगवान् शंकर ने कहा मूर्ख, गुरु गुस्सा नहीं हुआ, वो तुझ को कुछ नहीं बोला लेकिन मैं तुझ को श्राप देता हूँ कि एक हजार बार तुझको जन्म लेना पड़े तब तुझको ज्ञान होई | भगवान शंकर श्राप दिया | काहे  भगवान् शंकर श्राप दिया, गुरु तो गुस्सा नहीं किया | क्योंकि गुरु जाने कि सब आदमी अपना कर्म का फल पावे | इसलिए गुरु किसी पर गुस्सा नहीं करे क्योंकि गुरु जानता है कि हम किसी के कर्म का फल देवे वाला नहीं है, आदमी अपने कर्म का फल अपने से पावे | यही इंद्र को समझाया था बृहस्पति ने, कि मूरख ये गलती नहीं करना, इसका रिजल्ट बड़ा खराब निकलेगा | वहां रामायण में लिखा है कि बृहस्पति बताया इंद्र को –

कर्म प्रधान विश्व रची राखा, जो जस करे सो तस फल चाखा |

इस संसार में भगवान् कर्म को प्रधान बनाया है | कर्म इस important. और जो जैसे कर्म करेगा वो वैसे फल पायेगा | तो गुरु इस बात को जानता है कि हम काहे इसके कर्म पर इसको तो इसका फल मिल ही जायेगा और मिला, शंकर भगवान् दिए उसको | Real गुरु कभी गुस्सा नहीं करी |

यहाँ एक word आ गया है तो उसको clear करते हैं कर्म | What is कर्म ? लोग जानते ही नहीं कि कर्म कौन चीज है ? छोटा सा एक कथा सुनाई भगवान् राम का | कल भी जो कथा सुनाया था उसी में से एक पार्ट, जो छोड़ दिया था आज सुना रहा हूँ | भगवान् राम को राजतिलक होने वाला रहा | राजगद्दी मिलने वाली रही | जिस टाइम राजतिलक होने वाला रहा, morning में, दशरथ राम को बताया कि राम तुम्हारा राजतिलक नहीं होई, भरत का राज तिलक होई और तुमको घर छोड़ कर बाहर वन में जाना पड़ी | अब सोचो, कि कितना बड़ा राम के साथ अनर्थ हुआ | आपको कोई बताये कि आपको ये जॉब मिली, और इतनी रकम मिली, कल से join करो और जब आप join करने जाये तो आपको आपका बॉस बताये कि नहीं ये जॉब आपको नहीं मिली किसी और को मिल गई और अब निकलो, बाहर निकलो यहाँ से | कैसा लगेगा आपको ? But राम कुछ feel नहीं किया | राम बताया Right है, हम जाता है | राम वन में चला गया, राम चला तो सीता भी साथ चली, लक्ष्मण भी साथ चले | कल कथा बताया आपको, अब उसके आगे बताता हूँ |

जब चले, अयोध्या नगरी से बाहर निकले | अयोध्या जो state रहा, जैसे आपका California state है, California के बगल में आपका Washington है, ढेर state है, एक के बाद एक लगा है, अयोध्या state से बाहर जब राम निकला तो दूसरा state पड़ा , वो state रहा श्रुन्गवेरपुर | उस श्रुन्गवेरपुर का राजा रहा गुह | गुह भगवान् राम का स्टूडेंट टाइम का फ्रेंड रहा, classmate रहा | वशिष्ठ मुनि के आश्रम में गुह भी पढ़ा रहा और भगवान् राम भी पढ़े रहे साथ साथ  | बड़ा एक दूसरे को love करे | क्योंकि गुरु यही सिखाया | गुरु हमेशा प्यार सिखाये गुस्सा नहीं | इसलिए गुरु गुस्सा करे भी नहीं क्योंकि गुरु तो सबको बतावे कि गुस्सा नहीं करो और जो दुसरे से कहे कि गुस्सा नहीं करो और खुद गुस्सा करे तो वो गुरु नहीं | जो दूसरे को बतावे कि त्याग करो और खुद पैसा बटोरे वो भी गुरु नहीं | गुरु तो बाहर भीतर से एक सा रहे, जो बात बतावे उसको खुद भी follow करे | तो गुरु सिखाया प्यार, दोनों बहुत भरी प्यार करते रहे, गुह भी और राम भी |

गुह को पता लगा कि भगवान् राम को बनवास हो गया, सोचा मन में बड़ा खराब हुआ | इतना smart आदमी राम, इतना Qualified आदमी राम | उसको राजतिलक नहीं किया, उसको राजसिंहासन नहीं दिया, ये दशरथ महाराज कौन काम किया ? और उसे घर से और निकाल दिया, बड़ा भारी अनर्थ हो गया ये | बड़ा दुःख लगा गुह को, गुह अपना मंत्री लोगों को साथ लेकर के Border पहुँच गया, जहाँ राम Enter कर रहे थे उसके राज्य में | वो वहां पहुंचा, राम से भेंट किया, गला मिला अच्छे से | गुह बताया भगवान् राम को कि कैकई माता बड़ा खराब काम की | आपको भी जब इस तरह कि mishappening हो जाती होंगी तो आपके भी दोस्त, रिश्तेदार आकर के ऐसी बात कहते होंगे कि बड़ा खराब हुआ | It’s Very Sad. वो भी कहा जाकर के कि बड़ा ख़राब हुआ आपके साथ, ये कैकई माता बड़ा बुरा किये | बड़ा दुःख दिए आपको but No Problem. Worry नहीं करो आप | ये जो state है श्रुन्गवेरपुर, ये भी आपका है, आप चलिए और हमारा महल में रहिये | हम ये state आपको देता |

देखिये मित्रता | हाँ, आजकल आपका दुःख देख कर लोग Condolence तो जता देंगे, दुःख तो जताई पर आपका दुःख काटी नहीं | कोई आपको नहीं बताई कि आपका पैसा अगर ख़राब हो गया तो हम आपको देता है | कोई नहीं बताई, पर देखिये मित्रता, this is Love. गुह बताया कि आप यहाँ रहिये, ये राज्य आपका है, हम इसे आपको देते | कोई बात नहीं, Don’t Worry | चिंता कि कोई बात नहीं | भगवान् राम उसकी feeling को देखा, बड़ा खुश हुआ | आपको भी ख़ुशी लगी, जब कोई आपका Help कर दे, उस टाइम पर | भगवान् राम खुश हुआ बताया गुह हम आपको feeling का respect करता है | पर हमारे पिताजी ने हमको वनवास दिया है | तब हम वन में ही रही, किसी का महल में जा कर नहीं रही | हम किसी का Town में नहीं रही | हम पिता की आज्ञा का पालन करेंगे, As it is करेंगे | जैसा बताया है वैसा ही करेंगे |

गुह बोलता है कि Right है अगर ऐसा ही मन करता है तुम्हारा तो ऐसा ही करो, वन में रहो, जंगल में रहो but हमको सेवा का मौका देयो | भगवान् राम बताया कि ठीक है अगर तुम सेवा करना मांगो तो करो | गुह वन में एक सुन्दर पर्णकुटी बनवाया | पर्णकुटी जानते हो ? पर्ण बोलते हैं पत्ते को | पत्तों कि कुटिया बनाया | पत्तों कि कुटिया का Quality यह है कि गर्म में ठंडा रहे अन्दर से और ठंडा में गर्म रहे अन्दर से | ये पत्ता की कुटिया का Quality रहे | तो वो पत्ता की कुटिया बनवाया सुन्दर सी और उसमें अन्दर पत्ता की घास बिछवाया | घास के ऊपर एक चटाई बिछवा दिया | वो सब native थे, आदिवासी लोग थे | तो वो जंगल में जाते थे, चटाई वटाई बनाते थे यही उनका काम था | चटाई ला कर बिछा दिया, भगवान् राम को बताया कि यहाँ सोंओं | भगवान् राम बताया कि Right है | गुह बोला कि भोजन के लिए भी चिंता नहीं करना, हम जंगली लोग है, वनवासी लोग है, आदिवासी लोग है, आपका सब भोजन वन में से तोड़ कर हम लाये | कंद मूल फल सब हम लाके रखे यहाँ पर | आपको नहीं जाना कहीं, फल तोड़ने के लिए, आपको नहीं जाना कहीं कंद इकठ्ठा करने के लिए |

कंद, मूल, फल कौन चीज होवे, हम explain कर देई | कुछ लोग समझते हैं कि कंद, मूल नाम का कोई फल होवे है, कंद मूल नाम का कोई फल नहीं होता | कंद बोलते वो Crop जो धरती के नीचे पैदा होवे और जिसको boil करके खाया जाये जैसे डालो, कसेरा, आलू, शकरकंद, इस सबको कंद बोलते हैं  और दूसरा crop होवे जमीन के भीतर जिसको बोलते हैं मूल, उसको boil करके नहीं खाया जाए जैसे मूली, गाजर वो कच्चा खा सको, वो मूल कहलाते हैं और जो पेड़ के ऊपर लगे हैं That is फल | तो वो बताया गुह कि हम आपके लिए कंद ले आई, मूल ले आई, फल ले आई | आप चिंता नहीं करना सब हम कर देंगे | राम बताया कि ठीक है | अब शाम को जब सब लोग वन में से लौटे | ढेर डालो, कसेरा सब चीज लेले के आये | ढेर उनके लिए मूली, गाजर ले कर के आये | कई फल लेकर के आये | सब भगवान् राम के, सीता के आगे रख दिया, बोला खाओ | चिंता मत करो, पूरा वन हमारा है | हम यहाँ का राजा है | खिलाया | राम खाए, सीता माता भी खाए | फिर इधर उधर का बात शुरू हो गया | होता है, जब आप किसी के घर खाना खाने जाओ, तो खाना के बाद चार आदमी बैठकर बात करता है इधर उधर का | बात start हो गया और जब रात हो गया तो गुह बताया कि अच्छा अब आप rest करो | हम भी अपना घर जाई, हम भी खाना खाई और सोई | राम बताई कि ठीक है अब तुम भी अपने घर जाओ | गुह उठ कर चला गया | गुह के साथ जो आदमी रहा, सब चला गया अपने अपने घर |

भगवान् राम और सीता अपनी कुटिया में जा कर सो गया | लक्ष्मण जी धनुष और बाण लेकर के कुटिया के बाहर पहरा देने के लिए बैठ गए | ये सब कहानी आप जानते हैं | वो पहरा देने लगे | गुह अपना घर चला गया | वो भी अच्छे से खाना खा पी कर खटिया पर लेट गया | जब खटिया पर लेटा, एक दम नींद नहीं आवे आदमी को जब लेटे, कुछ न कुछ सोचता रहे, तो गुह सोचता रहा खटिया पे लेटा लेटा कि ये कैकई माता ने बड़ा बुरा किया | ये कैकई माता ने राम को बड़ा दुःख दिया है | जब राम महल में रहता होगा, तो सर्दियों का अलग कपडा होता होगा राम के पास और गर्मियों का अलग कपडा होता होगा राम के पास, बरसात में पहनने का अलग कपडा होता होगा राम के पास पर यहाँ वन में कोई कपडा नहीं | एक धोती पहने है उसी धोती में १४ साल कैसे काटी राम | मन में सोचा तो बड़ा दुःख लगा कि ये कैकई माता बड़ा दुःख दिए हैं भगवान् राम को | मन में सोचता रही कि भगवान् राम जब महल में रहता होई तो हलुआ मिलता होई, पूड़ी मिलती होई, खीर मिलती होई और नाना प्रकार के व्यंजन मिलते होंगे | रकम रकम का खाना मिलता होई और यहाँ जंगल में डालो और कसेरा खाना पड़े वो भी boil करके नहीं भून कर खाना पड़े, गाजर खाना पड़े मूली खाना पड़े | केवल कंद मूल फल खा कर कैसे १४ साल काटी राम | ये कैकई माता बड़ा भारी दुःख दियें राम को |

गुह सोचने लगा कि भगवान् राम जब महल में रहता होई तो कितना ढेर चप्पल होई, कितना ढेर sandle होई, ढेर जूता होई और यहाँ वन में, नंगा पैर घूमता रही, पैर में काँटा चुभता होई | भगवान् राम के ये १४ साल कैसे कटी | मन में सोचता रहा और दुखी होता रहा | सोचता रहा कि ये सीता माता राजा की लड़की है, जनक की | इसका father राजा और इसका ससुर राजा दशरथ और ये सीता माता एक भी आभूषण नहीं पहने है | एक धोती पहन कर के इस जंगल में नंगा पैर घूमती है, पैर में काँटा चुभता होई, राम तो चलो आदमी है, Powerful है पर सीता माता तो कोमल है बेचारी | इसके पैर में काँटा लगता होगा, कितना दुःख दिए है ये कैकई इनको | सोचता रहा, रात में नींद नहीं आई | जब आधी रात निकल गई और गुह को नींद नहीं आयी | गुह अपने मन में सोचा कि इस राम के बारे में सोच कर के जब हम इतना दुखी है तो राम पर क्या बीतती होगी, राम कितना दुखी होई ? मन में सोचा कि चलो देखें चल कर के | हम नहीं सो पाया रात भर, राम को चल कर देखता हूँ, राम सोता कि नहीं |

कुटिया में पहुँच गया उठ कर के रात में | कुटिया पर पहुंचा, लक्ष्मण कुटिया पर पहरा देता रहा, लक्ष्मण ने देखा कि कोई आता है तो जोर से चिल्ला के पुछा कौन आता है ? वो बताया कि हम आता है गुह | लक्ष्मण बोला आओ | लक्ष्मण पूछने लगे इतना रात में सोया नहीं तू  ? कैसे आया ? गुह लक्ष्मण के पास बैठ गया और जो मन में feeling रहा, लक्ष्मण को बताई | ये कैकई माता कैसा दुःख दी | जब आप महल में रहता होगा तो आप के आगे भी guard चलता होई और पीछे भी guard चलता होई, इधर भी guard चलता होई, उधर भी guard चलता होई और यहाँ वन में आप ही धनुष बाण ले कर guard बना बैठा है | ये कैकई माता कितना दुःख दी | अपना feeling बताई | लक्ष्मण जी सुनता रहा सुनता रहा, वो अपना मनमे जो जो फ़ीलिंग रहा सब बताता रहा | रोने लगा | तब लक्ष्मण ने उत्तर दिए | अब जब ये उत्तर बताता हूँ, तब पता चलता है कि कर्म कौन चीज है ? बृहस्पति बताया था इंद्र को –

कर्म प्रधान विश्व रची राखा, जो जस करे सो तस फल चाखा |

वो कर्म कौन चीज है ? लक्ष्मण जी उत्तर दिया गुह को –

केऊ न काऊ सुख दुःख कर दाता – अरे ! कोई किसी को सुख या दुःख नहीं देता | केहू मतलब कोई, न माने नहीं, काऊ माने किसी को, सुख दुःख दाता मतलब देने वाला | कोई किसी को सुख या दुःख देने वाला नहीं है इस दुनिया में | कोई किसी को सुख नहीं दे सकता, कोई किसी को दुःख नहीं दे सकता | फिर कौन चीज है, बतावे लक्ष्मण – निज कृत कर्म भोग सब भ्राता – अरे भाई ! निज कर यानि अपने जो किये हुए कर्म है, उन कर्मों का फल भोगता है | कोई दूसरा किसी को सुख नहीं दे सके है | ढेर जन बताता कि ये हमको सुख देता | कोई बताता कि हमारी पत्नी बड़ा सुख दे हमको | कोई बताता कि हमारा पति बड़ा सुख दे हमको | कोई बताता कि लड़का सुख देता है कोई बताता है कि माई बप्पा सुख दे | कोई बतावे कि माई बप्पा बड़ा दुःख दे | कोई बतावे कि पति दुःख दे | लक्ष्मण बतावे कि कोई किसी को सुख नहीं दे, कोई किसी को दुःख नहीं दे |  निज कृत कर्म भोग सब भ्राता – अरे भाई ! सब अपने कर्मो का ही फल भोगते हैं |

अब जरा सोचो ! आप कर्म का meaning जानते हो या नहीं | अगर कर्म का meaning हाथ पैर से करो वो है तो भगवान् राम कोई खराब काम नहीं किया रहा | कैकई माता का भैंस नहीं चुराया था भगवान् राम ने | भगवान् राम किसी का बिल्ली नहीं मारा था | फिर भगवान् राम के ऊपर ये संकट काहे आया ? कर्म का meaning ये नहीं है जो हाथ पैर से किया जाये | लोग समझते कि जो हम करता हाथ पैर से वही कर्म है | No, वो कर्म नहीं है | हाथ पैर से जो किया जाये उसको बोलते संस्कृत और हिंदी भाषा में क्रिया | क्रिया, क्रिया जानते हैं ? कर्म दूसरी चीज है | हम क्रिया और कर्म का अंतर बताते | लोग समझते कि एक ही चीज है ये | एक ही चीज नहीं है | क्रिया होवे always non-living चीज में | जो चीज non-living होवे उसको संस्कृत में बोले “जड़” | जड़ पदार्थ | जड़ पदार्थ में क्रिया होता है | जैसे आपका मोटर कार है | मोटर कार non-living चीज है | जड़ है | जो जड़ चीज हो उसको पहचान क्या है ? कैसे जानो कि ये जड़ है | जड़ चीज का quality ये होवे कि वह अपने से कोई काम नहीं कर सके | उसके भीतर कोई desire नहीं होवे, उसके भीतर कोई feeling नहीं होवे | उसके भीतर कोई power नहीं होवे | आपका मोटर अपने से चल कर के आपके घर से यहाँ मंदिर में नहीं आ सके | क्या आ सके ? उसका कोई desire नहीं कहीं जाने का | उसके भीतर कोई feeling नहीं मंदिर का और न उसके भीतर कोई power है कि अपने से चल कर के आ जाये | non-living चीज जो होवे उसमें क्रिया होवे | आपका मोटर मूव करता | मूव means क्रिया, Verb बोलते हैं इसको अंग्रेजी में | ये चलना कौन है ये क्रिया है | ये मोटर चलता है, मोटर क्रिया करता है क्योंकि मोटर non-living चीज है | सोचो इस चीज को अच्छे से | मोटर में अपना power नहीं है तो कैसे वो मोटर क्रिया करता ? उस क्रिया को कराने वाला एक driver उस मोटर में बैठता तब वो चले | Driver is living and motor is non-living. जब वो driver उस मोटर के भीतर बैठता तब वो मोटर, non-living चीज क्रिया करता |

Grammar में भी देखो, जब कोई Verb होवे वाक्य में तो कोई subject भी होवे | हर क्रिया का कोई कर्ता होई | वो driver जो है वो है करता | मोटर क्रिया करता है, मोटर non-living है | Driver living है |

अब सोचो अपना बारे में, हमारा ये जो body है, जो दीखता है सबको, ये body is non-living. ये जड़ है | ये non-living, इसके भीतर जो बैठा driver that is living. वो living चलाता है जब इस body को तब ये body चलता है | वो living इस body के भीतर से निकल जाये, वो जीव निकल जाये | तब, तब इस body में पैर तो रहे पर पैर चले नहीं | हाथ तो रहे पर हाथ हिले नहीं | आँख तो रहे पर देखे नहीं | कान तो रहे पर सुने नहीं | It means जैसे वो कार बिना driver के पहिया तो होवे पर चले नहीं, वैसे ही जब तक वो living भीतर रहे ये body चले और जैसे ही वो living निकल जाये इस body से ये शरीर चले नहीं | body जो कुछ करता वो है क्रिया | हम खाना खाते हैं, ये क्रिया है | हम चलते हैं ये क्रिया है | हम उठता, बैठता, चलता, फिरता, जो कुछ भी करता ये सब क्रिया है, कर्म नहीं है |

पंडित महात्मा बतावे कर्म अच्छा बनाओ, अच्छा कर्म करो | लोग समझते कि अच्छा कर्म का मतलब है कि पूजा कर लो | हाथ पैर से अच्छा काम कर लो, चार पैसा दान में दे दो किसी को हो गया अच्छा कर्म | ये अच्छा कर्म नहीं है, ये तो क्रिया है | क्रिया का कोई फल नहीं होवे, फल होवे, result होवे कर्म का | और मैं अच्छे से explain करता हूँ, कर्म क्या है और क्रिया क्या है ? जितना non-living चीज होती दुनिया में सबका एक लिमिट होता | limited होता non-living चीज | आपकी मोटर कार है उसकी भी एक लिमिट है | वो सड़क पर दौड़े, Road पर दौड़े, पानी में नहीं दौड़ सके, हवा में नहीं उड़ सके | क्या उड़ सकती है ? उसका एक लिमिट है | ऐसे ही ये जो non-living body है इसका भी एक लिमिट है | हाथ को आप ऐसे मोड़ सको पर ऐसे नहीं मोड़ सको | क्या मोड़ सकते हो ? इसका लिमिट है | जो चीज का लिमिट होई, उस चीज से create होने वाला चीज भी limited ही होवे है | यानी इस body से, ये जो non-living body है इससे होने वाली क्रिया भी limited ही होगी | पर भीतर जो driver बैठा है, वो जो living बैठा है, वो unlimited है | वो जो चीज करे है वो है कर्म | कर्म हमेश unlimited होवे है | क्रिया limited होती है | हम थोडा सा क्रिया करते हैं जिंदगी भर में, लेकिन कर्म बहुत करते हैं | कर्म क्या चीज है, कर्म वो है जो हमारे भीतर बैठा driver करता है, वो कर्म है | भीतर जो बैठा है उसके चार पार्ट हैं, चारों पार्ट काम करते हैं, एक है मन, एक है बुद्धि, जो हमारे भीतर बैठा है, तीसरा है चित्त और अहंकार | ये चार चीज हमारे भीतर बैठा है | ये चारों जो करते हैं, वो कर्म है | हम बुद्धि से जो सोचते हैं, वो कर्म है, हम मन से जो चीज feel करते हैं, वो है कर्म | हम मन से जो करते हैं, that is कर्म | हम जो भीतर कर रहे हैं, वो है कर्म | जो हाथ-पैर से करते हैं, वो क्रिया है |

लक्ष्मण जी बताया कि हे गुह ! कोई न कछु सुख दुःख कर दाता – कोई किसी को सुख दुःख नहीं देता है | निज कर कर्म भोग सब भ्राता – अरे भाई, सब अपने कर्म का भोग भोग रहे हैं | गुह ने भगवान् राम कि कुटिया में झाँक कर देखा कि भगवान् राम और सीता अच्छे से सोता है | क्योंकि वो कर्म नहीं कर रहे हैं, वो सोच नहीं रहे हैं, इसलिए गहरे से सोये हैं, अच्छे से सोये हैं और तू कर्म कर रहा है, रात भर नहीं सोया, सोचता रह गया, this सोचना is कर्म | समझो अच्छे से, कर्म कौन चीज है ? आप जो सोचता, आप जो feel करता, आप जो desire करता, आप जो गुस्सा करता, आप जो प्रेम करता, यानी आपका जितना emotions है, सब कर्म है | कर्म का रिजल्ट मिलता है, कर्म का भोग भोगना पड़ी, क्रिया का कोई भोग नहीं भोगे, क्रिया का कोई रिजल्ट नहीं होवे |

और अच्छे से मैं explain करता हूँ क्रिया को | क्रिया सबको दिखती है | आप कोई क्रिया करते हैं, सब देख सकते हैं | आप खाना खाओ, कोई भी आदमी देख सके है कि आप खाना खा रहे हैं | इस क्रिया को देख सकते हैं | आप चलते हैं तो सब लोग देख सकते हैं कि आप चल रहे हैं | आप दौड़ते, उछलते, कूदते हैं, सब कोई देख सकते हैं | क्रिया visible होती है क्योंकि वो क्रिया जो non-living body कर रही है वो भी visible है | क्योंकि ये शरीर दीखता है इसलिए इस से होने वाली चीज भी दिखाई देती है | But भीतर जो बैठा है Driver, वो जो भीतर living बैठा है, वो किसी को नहीं दीखता | किसी का मन किसी को नहीं दीखता, किसी कि बुद्धि किसी को नहीं दिखती | किसी का अहंकार किसी को नहीं दीखता | किसी कि आत्मा किसी को नहीं दिखती है | वो जो करता है, वो invisible पार्ट, जो किसी को नहीं दिखाई देता, वो जो कर्म करता है, वो भी invisible होवे है | वो कोई नहीं देख सके है | आप क्या feel करते हैं, कोई नहीं जान सकता, आप क्या चीज सोचते हैं, कोई दूसरा नहीं जान सकता | आप जो कर्म करते हैं उसको केवल आप ही जान सकते हैं, आपके भीतर जो आत्मा बैठा है वो ही जान सकता है कि आपके भीतर कौन कर्म चलता | बाहर वाला आदमी नहीं जान सके |

वो जो क्रिया होती है वो कैसे होती है ? How ? अब तक मैंने बताया कि कर्म और क्रिया क्या होते हैं, अब मैं बताता हूँ, कि कर्म कैसे होते हैं | क्रिया कैसे रिजल्ट नहीं देती और कर्म कैसे रिजल्ट देता है ?

क्रिया limited है, कर्म unlimited है | एक क्रिया होती है और उसके पीछे, उसके background में अलग अलग कर्म हो सकते हैं | एक आदमी फूल तोड़ता, उसका motive है, motive is कर्म, पहले कर्म होता है फिर क्रिया होती है बाद में | पहले motive होता है तब action होता है बाद में | एक आदमी फूल तोड़ता, फूल तोडना क्रिया है | वो फूल तोड़ता ये सोच कर के कि फूल बाजार में बेचूंगा तो चार पैसा आएगा | एक दूसरा आदमी भी फूल तोड़ता है, वो सोचता है कि फूल तोड़ कर भगवान् के मंदिर में चढ़ा दें | दोनों एक ही क्रिया करते हैं | वो भी फूल तोड़ता है जो सोचता है कि बाजार में फूल बेचना है और वही काम करता है दूसरा आदमी भी जो सोचता है कि इनको मंदिर में बह्ग्वान पर चढ़ाना है | एक तीसरा आदमी भी फूल तोड़ता है, वो भी वही क्रिया करता है, फूल तोड़ता है और अपनी प्रेमिका के बालों में लगाता है | एक चौथा आदमी भी फूल तोड़ता है और वो भी वही क्रिया करता है | फूल तोडा, सूंघता है और खुशबू लेता है | चार आदमी एक ही क्रिया किया लेकिंन चारों को रिजल्ट अलग अलग मिलेगा क्योंकि चारों का motive अलग अलग है | ये है कर्म, फल कर्म का मिलता है, क्रिया का कोई फल नहीं मिलता है |

एक खूनी Gun उठाता है और खून कर देता है | पुलिस उसको पकडती है और उसको फांसी कि सजा होती है | एक सैनिक बॉर्डर पर दूसरे सैनिक को मार देता है | दोनों ने एक ही क्रिया किया है, Murder. दोनों ने दूसरे को मारा है Gun से | लेकिन दोनों का Motive अलग अलग है | दोनों के कर्म अलग अलग हैं | दोनों के रिजल्ट अलग अलग हैं | Murderer को फांसी होती है और सैनिक को ईनाम मिलता है | सैनिक को तारीफ मिलती है उसी काम के लिए | रिजल्ट कर्म का होता है |

इसीलिए लक्ष्मण ने बताया है रामायण में

निज करी कर्म भोग सब भ्राता – अरे भाई ! सब कोई अपने अपने कर्म का फल भोगते हैं | कोई किसी को सुख दुःख नहीं देता है | हे गुह ! तू रात भर सोचने का कर्म करता रहा इसलिए तू दुखी है, भगवान् राम कर्म नहीं कर रहा है, वो नहीं सोच रहा है, इसलिए वो दुखी नहीं है, वो अच्छे से सो रहा है | अगर राम दुखी हो जाता तो….. सोचिये, जब दशरथ जी बताया राम को कि तुमको राजसिंहासन नहीं मिले, जाओ वन में, घर से निकलो, अगर राम दुखी होता तो दशरथ को बताता कि हे राजा, ये राज्य पैतृक संपत्ति है, इसमें हमारा शेयर है, पहले हमारा शेयर दो इसमें से | जैसे आजकल के लड़के बताते हैं, बीवी बताती है तलाक के समय पर कि हमारा share दो | भगवान् राम share नहीं माँगा, क्योंकि भगवान् राम उसके बारे में सोचता ही नहीं है | सोचने से दुःख होता है, सोचने से सुख होता है, सोचने से सब कुछ होता है | आपके भीतर जो चीज चलता है, that is important, अगर right करना है तो उसको right करो | अगर भीतर कर्म अच्छा है, तब तो पूजा का भी रिजल्ट अच्छा मिली | भीतर अगर कर्म अच्छा नहीं तो पूजा का रिजल्ट भी अच्छा नहीं मिले |

ढेर जन पूजा करे, पंडित बतावे जल चढाओ, जल चढ़ा दिया, पंडित बतावे फूल चढाओ, फूल चढ़ा दिया | पंडित बतावे हाथ जोड़ो, हाथ जोड़ लिया, पंडित बतावे आँख बंद कर लो, आंख बंद कर लिया | प्रसाद चढाओ, प्रसाद चढ़ा दिया और मन में, मन में सोचता है कि लड़का घर पर अकेला है, उसको छोड़ कर हम यहाँ चला आया, कहीं कुछ हो नहीं जावे | तो कर्म कुछ और हो रहा है और क्रिया कुछ और हो रही है | इस क्रिया का कोई फल प्राप्त नहीं होता |

ज्ञान दूर कुछ क्रिया भिन्न है, इच्छा क्यों पूरी हो मन की |

ज्ञान है ही नहीं, ज्ञान दूर , ज्ञान से तो आदमी कोसों दूर है | miles में, kilometers दूर है ज्ञान से तो | क्रिया भिन्न है, और जो हाथ पैर से क्रिया करता वो different करता और फिर सोचता कि मेरी इच्छा पूरी नहीं हो रही | अरे इच्छा पूरी होगी कैसे ? कभी वो इच्छा अगर पूरी हो तो कर्म और क्रिया के एक जगह पर होने से ही होगी | ये काम केवल ज्ञान के माध्यम से हो सके है और ज्ञान केवल गुरु से मिल सके है | और कहीं से नहीं मिल सके है | गुरु बिन होय न ज्ञान | ज्ञान गुरु से आई | वो गुरु बतावे कि कैसे कर्म और क्रिया को एक जगह करो | इस क्रिया और कर्म को एक जगह करो, This is योग, योग means union. दोनों को एक जगह मिलाओ, that is योग | लेकिन आज, आज कल लोग योग के नाम पर Exercise करते हैं |

बाहर बाहर कि चीज लोग करते, क्रियाएँ कर रहे हैं | इस शरीर के लिए लोग Exercise कर रहे हैं, योग कर रहे हैं, breathing Exercise कर रहे हैं | इस शरीर के लिए लोग रकम रकम का साबुन लगा कर के लोग इस को सफा कर रहे हैं | इस पर खूब क्रीम, पाउडर, लिपस्टिक तरह तरह का सामान लगते हैं | बढ़िया बढ़िया कपडा ला ला कर के लोग इस शरीर के लिए पहनते | किस चीज के लिए, non-living चीज के लिए | भीतर जो living बैठा हुआ है उसके लिए कुछ भी नहीं कर रहे हैं | वो तो बेचारा कमजोर होता चला जाता है | उसका भोजन उसको नहीं देते | और इसके लिए बढ़िया बढ़िया भोजन करते, रकम रकम का भोजन करते, बड़ा बड़ा स्वादिष्ट भोजन करते | इसको बड़ा बनाते जाते | इसको तगड़ा करते चले जाते और जो भीतर है उसको कमजोर करते चले जाते हैं | जब वो भीतर से weak होई, तो कहाँ will power रही | कहाँ रही आपके पास sound power तो कैसे आपका कोई काम होय, नहीं हो सके है | उसका जो भोजन है, वो उसको देना चाहिए | जैसे इस शरीर का भोजन इस शरीर को देते हैं ऐसे उसका भोजन उसको दो | उसका भोजन है, केवल ज्ञान | Knowledge उसका भोजन है, उसको ज्ञान दो | वो भोजन एक ही जगह मिले, गुरु के पास |

कर्म तब सुधरी, पहले भीतर कर्म होय, तब बाहर क्रिया होय | जो कर्म क्रिया में परिवर्तित हो जाता है, वो कर्म फल देता है और जो कर्म क्रिया में परिवर्तित नहीं होता, ढेर कर्म हमारे ऐसे होते, ढेर इच्छाएं हमारी ऐसी होती है, ढेर desires हमारी ऐसी होती है जिन्हें हम पूरा नहीं नहीं कर पाते | Action में नहीं बदल पाते | ये मत सोचो कि कर्म ख़त्म हो गया, क्रिया में नहीं आया तो | कर्म कभी ख़त्म नहीं होवे, जब तक कर्म का फल नहीं मिली, तब तक कर्म ख़त्म नहीं होवे, वो हमारे यहाँ store होवे |

शास्त्र बताते हैं कि हमारे यहाँ कर्म दो प्रकार का होता है, एक क्रियमाण कर्म और प्रारब्ध कर्म | क्रियमाण कर्म वो होवे है जो action में, कर्म में परिवर्तित हो जाते हैं, वे क्रियमाण कर्म कहलाते हैं और जो action में convert नहीं हुआ, क्रिया में परिवर्तित नहीं हुआ, वो store होता रहे भीतर, उसको बोलते हैं प्रारब्ध कर्म, ये इंसान के मरने के बाद उसके साथ साथ जाते हैं फिर अगले जन्म में भोगना पड़ता है, अगले जन्म में वो क्रिया बनती है और फिर उसका रिजल्ट आता है | आप बच नहीं सकते कर्मों के फल से | कभी भी नहीं बच सकते | गुरु बताता है ये |

पर ये चीज दिमाग में आता कब है ? जब आपके भीतर जो illusion भरा है वो बाहर निकलता है | illusion तो ये भरा है कि हम जो हाथ पैरों से करते है, ये ही कर्म है | wrong चीज जो हमारे भीतर है, wrong programming जो कर रखी है हमने अपने computer के अन्दर | जो इसमें Virus भरा है पहले उस वायरस को ख़तम करे उसको बाहर करे | फिर right program डाले | ये गुरु का काम है |

माटी शिष्य कुम्हार गुरु, करे न कछु संकोच, पीसे साने रात दिन, तब पैदा होवे लोच |

तब उस शिष्य के भीतर लोच पैदा होती है | गुरु का बस इतना सा काम है कि वो आपके भीतर लोच पैदा कर दे, आपके भीतर जो Stubbornness है, जो जिद्द है, आप जो समझते कि आप जो समझते वही सही है, हम जो सोचते हैं वो ही सही है, हम जो अपनी आँख से देखा है वही सत्य है और हम सत्य को जानता है | गुरु बताता है कि ये सत्य नहीं है |

 हम दो शब्द और बताता हूँ | आस्तिक और नास्तिक | लोग meaning नहीं जानते इनके | हम देखता कि मंदिर में जितना लोग आवे, आस्तिक एक भी नहीं मिला | एक दो कोई आस्तिक होता, वरना आस्तिक नहीं होता | But मंदिर में सब कोई आता है | गुरु गुस्सा क्यों नहीं करता क्योंकि जानता है कि ये अपने कर्म का फल पायेगा | इसलिए गुरु कभी किसी पर गुस्सा नहीं करता | ये आपका काम है कि गुरु की खुशामद करो, निहौरे करो, चिरौरी करो उसकी और उस से ज्ञान लो | जो गुरु को पाके भी उस से ज्ञान नहीं ले, ग्यानी आदमी को पाके भी उस से ज्ञान नहीं ले | वो तो मूरख है | इसीलिए कबीर बताया –

माया दीपक नर पतंग, भ्रमि भ्रमि इवे पडंत, कह कबीर गुरु ज्ञान ते एक आध उबरंत |

कोई कोई ज्ञान ले पाता है, कोई कोई बच पाता है | लेकिन जो ले लेता है, उसका सब काम बन जाता है | जिसने ज्ञान पा लिया, जो truth को जान गया, उसके भीतर जितना power भरा पड़ा, तब वो उन power को use कर सके | आपके भीतर सब power है, उतना ही power है आपके भीतर जितना power भगवान् के भीतर है क्योंकि भगवान् तो घट घट वासी है, सबके भीतर रहता है, तो वो power आपके भीतर भी है |  पर आप उस भगवान् के ऊपर, वो जो भीतर बैठा है, वो आत्मा, वो भगवान् उसके ऊपर इतना मैल चढ़ा दिया है कि वो दीखता नहीं | आपने उसकी सारी powers को ढक दिया है, अज्ञान से, भ्रमों से, illusions से ढक दिया है | उस सारी knowledge को ढक दिया है आपने अपने illusion से, delusion से, assumption से, presumption से | गुरु का काम है उसे साफ़ कर दे | तब आपको reality दिखाई देगी | Reality दिखाई, तब आपको पता चलेगा कि कितना आपके पास power है | तब आप उस power को उसे कर सको |

मेरा personal experience है कि तब आदमी इतना effort करी और इतना (ज्यादा) रिजल्ट आई, अगर आप अपने भीतर की power को जीतो लो | और अगर आदमी अपने भीतर कि power को नहीं जीते, भ्रम में पड़ा रही, तो वो इतना effort करी और इतना सा (बहुत कम) gain करी | हम देखता कि ढेर जन बड़ा भरी effort करता और फिर कहता कि हम इतना effort करता पर उसका रिजल्ट नहीं आता | होवे कहाँ से ? आप अपनी power को जानते ही नहीं है | आप जानते नहीं –

ज्ञान दूर कुछ क्रिया भिन्न है, इच्छा क्यों पूरी हो मन की  |

एक दूसरे से न मिल सके, यह विडम्बना है जीवन की ||

आदमी के जीवन कि विडम्बना यही है, mishappening यही है सब से बड़ी कि ज्ञान और उसका कर्म एक दूसरे के नजदीक नहीं आता | इसी तरह शिष्य, आदमी गुरु के पास जाये | सोचता है कि हम जाई, ज्ञान मिल जाई | नहीं मिली ! अरे भाई ! साबुन bathroom में रखा है, shower के पास रखा है साबुन | साबुन आपने हाथ में भी उठा लिया मगर शरीर पर नहीं घिसा तो शरीर तो साफ नहीं होई | गुरु है, उस से कोई discussion नहीं किया, कोई प्रश्न नहीं किया, कुछ पुछा नहीं, तब गुरु से कुछ नहीं मिल सके आपको | बिना मांगे तो मां भी दूध नहीं पियावे | तो गुरु बिना मांगे ज्ञान कैसे देवे ? आप सोचते हैं कि मैं आपको कोई ज्ञान दे रहा हूँ, NO !!! मैं ज्ञान नहीं दे रहा हूँ | मैं ज्ञान दिखा रहा हूँ, आप देखिये | जब देखेंगे तो हो सकता है कि आपके भीतर Curiosity पैदा हो ज्ञान पाने की |

मैं अपना experience बताता हूँ, मैं Professor रहा, अच्छा salary मिलता रहा | बड़े आराम से जिंदगी कटती थी | हर महीने कुछ बचा लेता था मैं, खर्चा करने के बाद | जोड़ता था | थोडा बैंक बैलेंस था मेरे पास | हाँ, मजेदार बात है, तब बैंक बैलेंस था मेरे पास, आज मेरे पास बैंक बैलेंस नहीं है | क्योंकि अब मैं जान गया, कि बैंक बैलेंस कि जरूरत नहीं है, तब समझता था कि बैंक बैलेंस बहुत जरूरी है और मैं बैंक बैलेंस बनाता था | जब मैं ३६ साल का होता था, मेरे मन में एक चीज आई कि हमारे पास केवल इतना पैसा है | हमारे साथ का जितना लोग था वो सब घर बना लिया, मोटर ले लिया और हमारे पास इतना पैसा है कि इस से न तो घर बना सके न मोटर ले सके | हम कुछ भी नहीं किया, हम क्या किया ? ज्यादा पैसा बनाओ | हम सोचता कि हमारा जो फ्रेंड है वो जॉब के साथ साथ business भी करता, तब वो money ज्यादा बनाया | हमें भी कुछ करना चाहिए | हमारा university में जो पढ़ाने का time होवे, वो बहुत कम होवे | केवल १२० मिनट का जॉब था | हमें केवल २ घंटा पढ़ाना होता, उसके बाद रिसर्च work कराना होता | तो research के student का कोई टाइम नहीं होवे, चाहो तो घर आ जाये, चाहो तो दिन में आ जाये, चाहो तो रात में आ जाये | घर पर आकर के पूछ जाता, जो चीज जानना चाहे, वो आकर के discuss कर जाता | पर बाकी टाइम फ्री रहा, तो हम सोचा, कि हम भी कुछ करें |

हमारे साथ का ढेर professor रहा, कोई दुकान करता रहा, कोई कुछ करता रहा, कोई कुछ करता रहा, हम सोचा हम भी कुछ करता | तो हम अपने friend को बताया कि हम भी कुछ करना मांगे तो हमारा एक फ्रेंड बताया, advice दिया कि चांदी का काम करो | चांदी खरीदो, होल्ड करो और जब rate बढ़ जाये तो बेचो | जैसे लोग property hold करते और बेच देते ऐसे ही बोला कि चांदी खरीदो, hold करो और बेचो | हमारे बैंक में जितना पैसा था, सब निकला और सबका चांदी खरीद लिया | ला के घर में रख लिया | बड़ा चमत्कार हुआ, ३ महीने के भीतर, चांदी का भाव तो चार गुना बढ़ गया | अब हम बड़ा खुश, दोस्तों ने बताया कि अशोक जी, अब इस चांदी को बेचो और जब फिर भाव नीचे गिरे तब फिर खरीदना | ये ऊपर नीचे तो बना रहता है market में | वो लोग businessman रहा, हम तो कभी business किया ही नहीं | हमने दोस्तों को बोला को नहीं, हम अभी नहीं बेचेंगे | सबने पूछा कि क्यों भाई, क्यों नहीं बेच रहे तो हमने बताया कि हमारे पास कोई माँगा हुआ पैसा नहीं है, किसी से उधार लिया हुआ नहीं है, हमारा पैसा है, किसी को ब्याज नहीं देना तो रखा रहने दो | जब भाव और बढेगा तब बेचेंगे | साल दो साल और रखा रहे, जब भाव १० गुना बढ़ जाई तब बेचेंगे | लालच लगा, हम नहीं बेचा | चार महीने के बाद slump आया बाजार में, जिस भाव में मैंने खरीदा रहा, उस से भी नीचे चला गया | तब हम घबरा गया, कि घर में एक भी पैसा नहीं बचा, गाँठ का सारा पैसा लग गया तब हम बेच दिया | ४०,००० रुपए में हमने खरीदा रहा, १०,००० का नुक्सान हुआ और ३०,००० हमको वापिस मिला | मन में चिंता होने लगी, कि अरे बड़ा घाटा हो गया | १०,००० रूपए के नुकसान हो गया | ये सोच कर ख़ुशी नहीं हुआ, positive thinking नहीं आया मन में, कि अरे ३०,००० तो है, उसको सोच कर ख़ुशी नहीं हुआ, १०,००० चला गया, उसके लिए worry कर रहा था, दुखी हो रहा था | देखिये, आदमी हमेशा negative सोचता है, सुख को नहीं सोचता, दुःख को सोचे | जो है अपने पास है उसको नहीं सोचे, जो नहीं है हमेशा उसको सोचे | जो १०,००० चला गया उसके बारे में सोचे, जो बचा रहा ३०,००० उसके बारे में नहीं सोचे |

अब हम सोचे रहा कि अब क्या करे | हमारा एक दूसरा दोस्त रहा, वो हमको समझाया कि अरे तुम ४०,००० का चांदी खरीदा, कितना बड़ा risk लिया, उस चांदी को खरीद कर घर में रखा, कितना भारी जोखिम उठाया, इतना सारा पैसा उसका payment करने के लिए लेकर गए, कितना बड़ा risk था | तब हम पूछा कि फिर कौन चीज करी ? तब वो बोला कि आप सट्टा करो, सट्टा जानो ? Betting. आप जाओ बाजार में और बताओ कि मैंने चांदी ख़रीदा इस भाव में | वहां जो आदमी रहे वो नोट कर ले अपने रजिस्टर में, कि ये आदमी चांदी ख़रीदा हुआ है इस भाव में | फिर जब भाव बढ़ जाये, तो बताओ कि अब हमें इसको बेचना है, इस भाव में | वो बेच देगा और जो अंतर होगा वो आपको दे देगा और अगर घाटा हुआ तो वो घाटा आपको देना पड़ेगा | तो कम से कम तुम्हें इतना बड़ा risk तो नहीं उठाना पड़ेगा, ये आसान काम है | मुझे लगा कि ये सही कह रहा है | हमने वैसा ही किया, और हमें थोडा सा फायदा भी हुआ | वो जो १०००० का नुक्सान हुआ था हमारा, हमें १२,००० का फायदा हुआ | हम सोचा कि ये अच्छा business है, अब पैसा कमाएंगे | हमने और ज्यादा पैसा लगाया, और पैसा लगाया तो और फायदा हुआ, फिर और पैसा लगाया तो फिर और फायदा हुआ | धीरे धीरे हमें फायदा हुआ तो मेरा courage और बढ़ गया |

एक बार हम इतना चांदी खरीदा, market में हमारा क्रेडिट बन चुका था, तो अब हमसे कोई deposit नहीं मांगता था | इतना क्रेडिट बन गया कि हमने ढेर चांदी खरीदा | आप विश्वास नहीं करेंगे, हमने चांदी खरीदा १८०० किलोग्राम ! ये बात है १९७९ की | उसके बाद जो slump आया, चांदी में | हमने खरीदा था, अपनी capacity से ज्यादा | हमारे पास इतना पैसा नहीं था कि अगर कहीं घाटा हो जाये तो हम उसको लौटा सकें | अपनी capacity से बाहर जा कर खरीदा था मैंने | वो slump आया और market वैसा लौटा ही नहीं बहुत दिनों तक | जितना सब कुछ हमने कमाया था दो साल में सब ख़त्म हो गया एक ही बार में | कमाया तो हमने थोडा थोडा करके था, कभी २० किलोग्राम खरीदा, कभी ३० किलोग्राम खरीदा और जब गंवाया तो १८०० किलोग्राम चांदी खरीद कर एक साथ गँवा दिया | जितना था सब चला गया | उस सब के जाने के बाद भी, हमारे पास पैसा नहीं रहा और payment बाकि रह गया |

जब payment बाकी रहा तो घर में जो बच्चों का गुल्लक होता है, गुल्लक जानो, जिसमें बच्चे अपना पैसा जोड़ते है, वो हम फुडवा दिए, सब बच्चों का और उनका सब पैसा निकाल लिया | पत्नी का जितना पैसा रहा बैंक में वो भी सब निकलवा लिया | घाटा पूरा नहीं हुआ उस से भी तो पत्नी का जितना गहना था, वो भी सब बेच डाला | नाक का, कान का, सब छोटी छोटी चीज, सब बेच डाला | वो सारे से payment करने के बाद भी हमारे ऊपर १ million रूपया कर्जा रहा | इतना payment करने के बाद | अब हमारी हालत ये, रात भर सोवे नहीं | हमेशा दिमाग में ये बात रहे कि ये जिसका पैसा हमारे ऊपर चढ़ा हुआ है वो आज नहीं तो कल आकर हम से आकर मांगेगा जरूर, तब हम कहाँ से देई | salary भी इतना नहीं है कि हम उस से चुका सके | जो जॉब से salary मिलता था हमें लगा उस से भी नहीं हो पायेगा | salary में जो कुछ मिलता था वो सारा interest pay करने में चला जाता था |

घर में सिर्फ ८०० रुपया बचता था हर महीने, उसमें हम बच्चो को दूध नहीं दे पाते थे | बच्चों को अच्छे school में पढने को नहीं भेज पाए | हम अपने बच्चो को मंदिर में जो पंडित बैठता था, वो जो क्लास चलाता था वहां पढने के लिए भेजा | हमारे professor दोस्त हमको बोलते कि professor के बच्चों को कैसी जगह पढ़ते हो, अच्छा नहीं लगता | हम सब जगह जाना बंद कर दिया | शर्म के मारे कहीं जाने का मन नहीं करे | पैसा पास में नहीं, अगर कहीं शादी में जाए तो वहां कुछ देना लेना पड़े, पर हमारे पास तो कुछ था ही नहीं | किसी पार्टी में नहीं जाये, किसी शादी में नहीं जाये, सब जगह आना जाना बंद कर दिया | हमेशा घर के अन्दर रहे पर अगर हर टाइम घर के अन्दर रहे तो घर में बीवी से कच कच होवे | पत्नी बतावे कि तुमने कितना loss कर दिया, सब बर्बाद कर दिया | तुमने ये कर दिया, वो कर दिया और जब वो बतावे तो हमको गुस्सा चढ़े | घर में कच कच शुरू हुआ, एक दिन हमारी पत्नी बच्चों को लेकर के अपने पिताजी के पास चली गई | अब, रात भर हम सो नहीं पावे, आप विश्वास नहीं करेंगे, १ महीने तक हम सो नहीं पाया | इतना दिमाग खराब रहे, इतना stress रहे कि एक दिन हम सड़क पर जा रहा था और सामने से साइकिल रिक्शा आता रहा | हमारा दिमाग तो जाने कहाँ, रिक्शा दिखाई नहीं दिया और हम रिक्शा से टकरा गया और पैर का दो हड्डी टूट गया | अब खटिया पर पड़े हैं | ४५ दिन खटिया पर पड़ा रहा | अब पड़ा पड़ा सोचे कि क्या करे, कैसे पैसा चुकाए | बड़ा भारी परेशान | पैर ठीक हो गया, एक दिन घर में बैठा रहा | हमारा father बहुत बड़ा पंडित रहा | हमारे यहाँ ५०० साल से यही काम होता रहा | पर हम इस काम को like नहीं करता रहा | पसंद नहीं किया इस काम को तब तक |

हम एक दिन father कि गद्दी पर बैठा रहा, बड़ा दुखी था | हमारा गुरु आया | अब बताता हूँ, गुरु कौन चीज होवे है और क्या करता है | हमारा गुरु आया | हमारा गुरु बड़ा गुस्सा वाला आदमी था और लकड़ी का खडाऊ पहनता रहा | खडाऊ देखा होगा लकड़ी का, चट्टी जिसे बोलते हैं, वो पहनता रहा | बड़ा गुस्सा वाला आदमी रहा | कोई चीज जब हम बोलता, जब हम छोटा रहा और वेद मन्त्र बोलता रहा और अगर wrong उच्चारण करता तो खडाऊ उठा कर सर में मार देता था, खून निकलने लगता था | बड़ा गुस्सा वाला आदमी था | वो गुरु हमारा आया, कई साल बाद आया | हम बैठा रहा, आया वो, हम गद्दी पर से हट गया | गुरु को वहां बैठा दिया और हम दूसरी जगह बैठ गया | हम पैर छुआ | गुरु हमसे पूछा, बेटा कुछ परेशान है | हम रोने लगा, सारा problem उसको बताया कि कुछ नहीं बचा, सारा business में चला गया | बच्चों को पढ़ा नहीं सके अच्छे से, दूध नहीं पिला सके | सुनता रहा | हम उससे पूछा कि गुरु जी कोई ऐसा चीज बताओ जिससे ये संकट कटे हमारा | कर्जा चुक जाए कैसे भी हमारा बस | हम और ज्यादा पैसा नहीं चाहे, बस इतना चाहे कि हमारा कर्जा चुक जाए | गुरु हमारा बतावे हमसे, “एक बात बताओ, तुम जो ये काम किया रहा, ये business किया रहा, क्या करने से पहले हम से पुछा ?” हमने कहा, “नहीं पूछा |” “तो फिर अब काहे पूछता हमसे” – एक दम bluntly वो बोला हम से | हमको बड़ा खराब लगा कि ये गुरु को हम पर तरस नहीं आवे | हम फिर उस से कहा, कि “कभी कभी गलती हो जाए आदमी से, गलती हो जाये तो उस गलती का कोई प्रायश्चित्त होवे, आप कोई प्रायश्चित्त बताओ | हम करेंगे | कोई पूजा पाठ बताओ जिस से हमारा संकट कट जाए, हमारा कर्जा चुक जाए |” गुरु हमारा बतावे कि “तुम भी तो पंडित है, तुम कोई पूजा पाठ नहीं किया इसके लिए ?” हमने बताया कि “हाँ, किया रहा |” वो बोला “कौन कौन पूजा किया ?” हमने बताया कि “लक्ष्मी माता का जाप किया |” तो बोले कि “फिर कुछ हुआ ?” हम बोले “कुछ नहीं हुआ |” तो बोले कि “कुछ नहीं होई | अगर जाप करे से पैसा आ जाये तो दुनिया पागल है जो business करती और जॉब करती | सब माला ले ले कर बैठ जाई और सब जाप करी, अगर जाप करे से पैसा आवे तो |” बड़ा bluntly हमको फिर जवाव दिया, हमको बड़ा खराब लगा | हम फिर गुरु से बोला, कि “अब जो गलती हो गया, हो गया, अब कैसे ये सुधारे उसका रास्ता बताओ |” बोलता कि “तुम ये सब काहे किया ?” हम बताया कि “हम सोचा कि हम चार पैसा बना ले तो हमारे पास भी घर आ जाये, मोटर खरीद ले |” तो बोले “आ गया चार पैसा ?” हम बोले “नहीं आया |” तो बोलता है कि “एक बात बताओ जब तुम जॉब करता था, business नहीं करता था तो खर्चा करने के बाद salary में से कुछ बचता था तुम्हारे पास ?” हम बताया कि “हाँ बचता था” तो बोले कि “फिर इस लालच में काहे फंसा ? इस लालच का फल तुमको भोगना पड़ी | तुम्हारे कर्मों का फल तो तुमको ही भोगना पड़ी, हम इसमें कुछ नहीं कर सके और न कोई भगवान् इसमें कुछ कर सके |” बड़ा bluntly बताया, हम फूट फूट कर रोया |

हमें लगा कि ये कैसा गुरु है जरा भी दया नहीं करे, गुरु का काम है शिष्य पर दया करे और ये गुरु तो बिलकुल भी दया नहीं करे | हम अपना सर जमीन पर पटका और हम उसको बताया कि अब तो हमारे पास एक ही रास्ता है कि हम suicide कर ले | हमारा बेटा लोग क्या सोचता होगा हमारे बारे में, कि हमारा बाप सब बर्बाद कर दी | हमारे लिए कुछ कर नहीं पावे | कौन चीज सोचता होगा, हमारे बारे में, इसलिए हम suicide कर लेता हूँ | गुरु हमारा बताया कि “ठीक है, right है, suicide कर लो, अगर suicide करना मांगो तो, पर एक बात बताओ कि तुम अगर suicide कर लेगा तो क्या तुम्हारा बच्चा तुमको अच्छा बताएगा ?” हम बोले कि “नहीं बताई |” तो बोले “फिर कौन चीज होवे suicide करने से ?” तो हमने पूछा कि “फिर हम क्या करें ?” बोला कि “ये हम नहीं जानता |” बस ये कह कर वो खड़ा हो गया और बोलता कि “हम जाता, हम ये सब सुनने के लिए नहीं आया तुम्हारे यहाँ पर”, और वो खडाऊं पहनने लगा और हम रोने लगा | आप सोचो कि हम पर क्या बीती होगी उस टाइम पर | हम रोता रहा, वो खडाऊं पहनते पहनते जब बाहर निकालने लगा कमरे के, तो हमको मुड़ कर बताया कि “अच्छा एक काम हो सके है अगर तुम कर सको तो ?” वो जैसे ही इतना कहा, हम तो बिलकुल जैसे प्राण मिल गया हो | एकदम ख़ुशी हुआ हमको | पूछा बताओ “कौन चीज करी | आप बोलो कि सर काट दो तो हम सर काट दे, इतना हम दुखी है |” बोले कि सिर नहीं काटना पड़े, पर सोच ले, कर पायेगा ?

 हम बोला, “आप बताओ तो सही |” बोले “आज से तुम जितना पूजा पाठ तुम करता है सब बंद |” मैंने पुछा कि गुरु मंत्र का क्या, बोले वो भी बंद | मैंने पुछा इष्ट देवता का ? बोले वो भी बंद | अब हम सोचे कि ये कैसा गुरु है, पूजा पाठ को मना करता है, जाप के लिए  मना करता है | बड़ा अजीब लगा हमको उनका व्यवहार, हमको लगे पता नहीं ये क्या करे | हम बोले, ठीक है | फिर बोले कि अब कौन चीज करी ?  तो हम पूछा कि बताओ कौन चीज करी ? बोले Chess (शतरंज) खेलना जानते हो ? हम बोले हाँ जानता हूँ | बोले फिर आज से सब पूजा पाठ सब बंद, आज से शतरंज खेलो | हमको बड़ा अजीब लगा (हँसते हुए) कि ये कैसा गुरु है पूजा पाठ बंद करके खेल खेलने को कहता है | देखिये गुरु क्या चीज है, समझो | हमको लगा कि ये कैसा गुरु है उल्टा उल्टा बात बतावे, पूजा पाठ बंद करना बतावे और बोले शतरंज खेलो | लेकिन हमारे पास कोई choice नहीं रहा, तो हम सोचा कि इसको भी try कर के देखा जाये | मन्त्र जपा, सब किया, कुछ नहीं हुआ तो हम सोचा कि इसको भी try कर लेते हैं | तो हम बताया कि right है, हम करेंगे | आज इस बात को हम हंस हंस के बताते हैं, पर उस टाइम हम कितना दुखी रहा ये हम जानता है | हम बोले ठीक है, बोले ठीक है नहीं, ये पूछो कि कैसे खेलना है हमसे | हम बोले कि बताओ कैसे खेलना है, तो बोले कि २४ घंटे खेलना है | मैंने कहा ठीक है, वो चला गया |

हम अपने सारे दोस्तों को बुलाया और बताया कि भाई शतरंज खेलनी है | अब दोस्तों के पास इतना टाइम कहाँ कि पूरा दिन हमारे साथ खेले | तो ये होता कि हम दो दोस्तों के ले आता, २-३ घंटा खेलता फिर वो चला जाता तो हम दूसरे दोस्त को बुला लेता, वो चला जाता तो तीसरे दोस्त को बुला लेता | आप विश्वास नहीं करेंगे, हम ३६ घंटे लगातार खेला और ये प्रैक्टिस ३ महीने तक चलता रहा | हालत ये हो जाती कि जब हम ३६ घंटे तक लगातार खेलता, पोंद (प्यादा) उठाता हम, झपकी आती और वो पोंद हमारे हाथ से छूट जाता | ३६ घंटे तक अगर कोई लगातार खेलता रहे तो कौन चीज होई | तो पोंद छूट जाये तो हमारे दोस्त हमसे बोलते कि अब आप सोओ, हम जावे, कल फिर आ जायेंगे | दोस्त चले जाते, हम वहीँ धरती पर सो जाता | १२-१२ घंटा सोता | ३६ घंटे जगो तो कौन चीज होई, १२-१२ घंटा सोता था | सोते से उठी, खाना खाई, नहाई धोई और फिर आ कर बैठ जाई | ३.५ महीने तक ये चलता रहा | पत्नी तो चली गयी बच्चों को लेकर अपने father के घर | हम अकेला रहता |

३.५ महीने बाद हमारा गुरु फिर आया | आया, हमने बैठाया और बताया कि आप जो चीज बताया हम ठीक बिलकुल वैसा ही करता | बोले हम जानता है | हम बोले “आप कैसे जानता है, आप तो एक बार भी नहीं आया, तब से अभी तक |” बोले “हमको सब चीज पता है कि तुम कौन चीज करता है |” तो हमने पूछा “कि आप कैसे जानता है ?” तो बताया कि “तुम्हारा सारा family का लोग, सारा दोस्त लोग हमारे पास आता और बताता कि देखो सारा पैसा बर्बाद कर दिया, अब शतरंज खेल कर मां-बाप का नाम भी खराब करता है, तो हम जान जाता कि तुम कौन काम करता है |” ठीक है | बोलता है कि “आज हम इसलिए आया है, कि आज के बाद शतरंज नहीं खेलना बिलकुल बंद एकदम |” हम बोला “ठीक है |” बोला “आज के बाद, कल से अपना गुरु मन्त्र का जाप start करो |” अब एकदम उल्टा बताता, chess एकदम बंद, गुरु मन्त्र का जाप करो | अपने college से लौट कर आओ, अपने room में जाओ और room से बाहर नहीं निकलो | मैंने कहा ठीक है | हम उनसे बताई कि “अगर हम यहाँ बैठे हर समय, तो पिताजी का शिष्य लोग रहा, वो आयेंगे, कोई जन्मपत्री दिखाई, कोई कुछ कही, कोई कुछ कही, कोई कही कि पूजा करा दो |” हम like नहीं करता रहा जन्मपत्री देखना, पूजा कराना | तो यहाँ बैठी तो लोग हमको force करी, पूजा कराने के लिए | बोले कि पूजा कराना चाहता है अगर कोई आदमी, और अगर तुम्हें आता है, हमने कहा कि हाँ आता है तो बोले कि फिर पूजा कराने जाओ | मना नहीं करो, मैंने कहा कि “हम अच्छा नहीं समझता इस काम को |” तो बोले कि “ठीक है, पैसा मत लेना किसी से, पर पूजा तो कराओ |” तो हमने कहा कि “लोग जन्मपत्री दिखाई”, तो बोले कि “अगर जानता है तुम, तो देखने में क्या हर्ज है ? तुम्हारा क्या जाता है ? देखो |” तो हम बोले कि “पर लोग कुछ देते ही नहीं है |” तो बोले तब भी तो कोई कुछ नहीं देता, जब नहीं देखते, तो बोले कि अब अगर तुम देख लेगा तो कौन चीज होई, नहीं देगा तो नहीं देगा | लेकिन यहाँ बैठो और दूसरी चीज बताया कि अगर कोई आदमी आये और पूछे कि हमारा लड़का खो गया है, चला गया है, कोई चीज खो गई है उसके बारे में पूछे तो अगर वो कुछ देना मांगे तब भी नहीं लेना | आज तक मैं इसको follow करता हूँ |

आप विश्वास नहीं करेंगे, ९ साल के भीतर भीतर, १ million रुपया with interest हम pay कर दिया, वहीँ बैठे बैठे, कोई दूसरा काम नहीं किया | अब हम सोचने लगा कि ये कौन सा चमत्कार हुआ | पूजा बंद करो, शतरंज खेलो सब संकट कट जाई | ये कौन चमत्कार है ? ये गुरु कौन चीज बताया ? ये हमारे भीतर एक curiosity पैदा हुआ | गुरु के पास गया, उससे बताया कि ये कौन चमत्कार किया आपने | बोले तुम गीता पढ़ा है ? हम बोले हाँ पढ़ा है | बोले कितनी बार पढ़ा है ? हमको खुद नहीं पता कि हमने कितनी बार गीता को पढ़ा है | रामायण पढ़ा है ? बोला हाँ, कई बार पढ़ा है | तो बोले कुछ भी नहीं पढ़ा है तुमने, फिर से पढो | फिर हम पढ़ा सब चीज | तब हमारी समझ में meaning समझ में आया, अभी तक हम केवल words ही पढ़ा रहा | तब समझ में आया कि केवल इतना किया हमारे गुरु ने, कि हमारे mind को clear कर दिया | दिमाग में जो फ़िक्र घुसा रहा, जो चिंता घुसा रहा, कि क्या होई, कैसे होई, लोग तकादा करी, बड़ा बेइज्जती होई, ये जो डर, चिंता, फिक्र घुसा रहा मन में तो कोई चीज को दिमाग सोच नहीं सकता मन में | क्योंकि दिमाग ठिकाने नहीं है | chess खिलाया, पूजा करता था तो पूजा में भी मन नहीं लगता था | बस खाना पूरी होती थी कि पूजा कर रहे हैं | chess खिलाया, ३६ घंटे तक लगातार chess खिलाया | ३ महीने तक खेला, दिमाग में जितना चिंता घुसा रहा उसको सोचने के लिए भी टाइम नहीं रहा | जिस आदमी को रात रात भर नींद नहीं आता रहा वो आदमी chess खेलना start किया तो खेलते खेलते सो जाता | नींद आना शुरू हो गया, क्योंकि दिमाग में से फिक्र निकल गया, चिंता निकल गया, negative  thinking निकल गई | मन pure हो गया, शुद्ध हो गया | जिस आदमी को कभी नींद आती थी, पहले तो आती नहीं थी और अगर आती थी तो सपने में वो लोग आते थे जिनका पैसा हमारे ऊपर चाहिए था | अब नींद आती थी, १२-१२ घंटे, सपना नहीं दीखता था और अगर कभी सपना दीखता था तो पोंद (प्यादे) दिखाई देते थे सपने में, कोई पैसा मांगने वाला दिखाई नहीं देता था | mind एकदम clear |

जब मनुष्य शुद्ध हो जाये, तब आपके बीतर का energy बाहर आवे और काम उस power से होता है | तब हम गीता का मतलब समझे, गीता में लिखा है, संसार तो एक वृक्ष है –

 उर्ध्व मूल अधो शाखा 

ये बताया है गीता में कि ये जो दुनिया है, संसार है उसको जानो कि ये उल्टा पेड़ है, उल्टा वृक्ष है | उल्टा वृक्ष कैसे, कि इसका जड़ तो ऊपर जावे है, आसमान में और इसका जो पत्ता और डाली है वो नीचे कि ओर है | सब पेड़ का डाली ऊपर जावे है और जड़ नीचे जावे है | वो बताया कि ये दुनिया उल्टा है | इसका जड़ ऊपर जावे है और डाली नीचे जावे है, इसको समझो |

हमारी समझ में आया | अब हमको वो पूजा बताया, mind साफ़ हो गया, अब पूजा किया, जाप किया मन्त्र का, तब उसका फल मिला | अशुद्ध मन से, भीतर कर्म ठीक नहीं, मन बीमार, आप कोई भी क्रिया करो, कोई भी फल नहीं मिले | जब मन शुद्ध, मन मजबूत, मन स्वस्थ्य, तब जो भी कर्म करे, उसका रिजल्ट मिले | जब हमको रिजल्ट मिला तब हम conclude किया कि ये दुनिया उल्टा वृक्ष है | जैसे आपका पुराने टाइम का camera होता रहा, उसमें फिल्म लगती थी और जब फोटो खींचते थे तो negative फोटो आता था फिर उसको बाद में positive करना पड़ता था | ख्याल है आपको | बस ! ये दुनिया भी सारा negative है, हम इसको positive समझता है | इसको positive नहीं समझो, negative है, negative ही समझो | कैसे ? आप सूरज कि तरफ पीठ करके खड़ा हो जाओ, तब आपका परछाई आपके आगे होई | अब अपनी परछाई कि तरफ भागो | सूरज से दूर भागो | जितना तेज आप भागेगा, आपका shadow भी उतना ही तेज भागी | आप अपने shadow को cross करके आगे नहीं जा सको  | कि जा सको ? नहीं जा सको | अब बिलकुल about turn हो जाओ | उल्टा घूम जाओ, सूरज कि तरफ मुह करो | तब तुम्हारा shadow तुम्हारे पीछे रही | अब shadow से दूर भागो, सूरज कि तरफ | shadow तुम्हारे पीछे पीछे आई, और उतना ही फ़ास्ट आई, जितना फ़ास्ट तुम भागो | यही दुनिया का तरीका है | जब तक दुनिया के पीछे भागेंगे, तब तक ये दुनिया आपके हाथ में नहीं आएगी | जब दुनिया कि तरफ पीठ करके, सूरज यानि ज्ञान कि तरफ भागेंगे, ये दुनिया आपके पीछे पीछे आएगी और आपका सब काम करेगी | कोई effort नहीं करना पड़े आपको | जो लोग दुनिया कि तरफ भाग रहे हैं, उनको बड़ा भारी effort करना पड़ता है | जो लोग समझते कि अगर हम नहीं करेंगे तो कैसे हो जायेगा | हम नहीं सोची तो कैसे ये काम बनी ? उनका काम कभी नहीं बनता, वो always दुखी रहता |

आप लोग सोचो, एक माई बप्पा के चार लड़का रहे | तीन लड़के अच्छे से पढ़ गया, लिख गया | होशियार हो गया, अपना काम करे लगता, कोई नौकरी करता, कोई business करता | एक लड़का उन चारों में से ऐसा निकल जाये, जो कुछ सोचता ही नहीं | न पढना मांगे, न जॉब करना मांगे और न कोई और काम करना मांगे | सोचो, जो बच्चा कुछ भी सोचे नहीं अपने दिमाग से, तो का होई आगे लाइफ में, वो तो सोचता कि माई बप्पा है, खिलाता है, सब काम होता है हमारा | वो कुछ सोचना नहीं मांगे, आगे का होई ? माई बप्पा मर जाई तो फिर आगे का होई ? वो नहीं सोचता | तब का होवे, तब माई बप्पा सोचे उस लड़का के बारे में | कि ये तो कुछ सोचता नहीं, हमें ही इसके बारे में सोचना पड़े  और तब माई बप्पा उसके बारे में चिंता करे | अब सोचो उस भगवान् के बारे में, जिसका हम सब लड़के हैं, ये संसार में जितने लोग हैं सब उसके ही लड़के तो हैं | वो जो परम पिता है, वो जो सबका बाप है उसके बारे में सोचो, उसके कितने सारे लड़के हैं, वो किसका फिक्र करी ? माई बप्पा तो उसका फिक्र करी जो बिलकुल चिंता नहीं करता, जो बिलकुल नहीं सोचता, उसका फिक्र करे | वो किसका फिक्र करी ? वो भी उसका फिक्र करता जो अपना फिक्र नहीं करता | वो उसका फिक्र नहीं करी जो अपना फिक्र करता है | माई बप्पा उसका फिक्र नहीं करते जो अपना फिक्र करते हैं, अपना ध्यान रखते हैं | माई बप्पा उसका फिक्र करते हैं जो अपना फिक्र नहीं कर रहा है | वो भगवान् भी उसका फिक्र करी, जो अपना फिक्र नहीं करता |

चिंता को दिमाग में से निकालो | इस negative thinking को भीतर से निकालो | worry नहीं करो, ये मत सोचो कि ये काम कैसे होई, कैसे नहीं होई | अगर आप ये सब सोचेगा तो भगवान् सोचेगा कि ये तो smart है | ये तो सोचता है तो कोई न कोई रास्ता निकल ही लेगा | जब आप बिलकुल नहीं सोचो तब वो सोचे कि ये तो बिलकुल नहीं सोचता इसके बारे में तो मुझे ही कुछ करना पड़ी, जैसे माई बप्पा चिंता करे | उसके बारे में फिर वो सोचे | this is कर्म, इस कर्म को समझो कि कौन चीज आपके भीतर चलता | भीतर भरा illusion, आप सोचता कि हम करी तब ही होई | हम नहीं करी तो नहीं होई | हम फिक्र करी तब कोई काम होई | तब से जब से मैं ये सब जान गया | अब मेरी wife मुझे बतावे कि अरे ! आप बिलकुल फिक्र नहीं करते हो, ये काम कैसे होवेगा | मैं उसको बताता कि यार तुम फिक्र कर तो रही हो अब हम भी फिक्र करी तो कौन चीज होई | दो दो आदमी फिक्र काहे करे, एक ही आदमी बहुत है | तुम करो, हम तो नहीं करी | हम फिक्र नहीं करी और हम देखता कि हमारा सारा काम अपने आप से होई | हम कभी भी अपने चार लड़कों में से किसी को भी school में admission कराने के लिए नहीं ले गए | लड़के अपने से पढता | आज चारों लड़का हमारा इंजिनियर है और अच्छे जॉब पर है |

हम फिक्र नहीं किया तब सब काम हुआ और जब हम फिक्र करता रहा तब हम debt में फंसा रहा, चिंता में फंसा रहा कि अब कैसे काम होई | suicide करने का सोचता रही | हम stress में रहा, हम हमेशा दुखी रहा  | उस टाइम हम feel करता कि दुनिया में अगर कोई सबसे ज्यादा दुखी है तो वो मैं हूँ | तब हम ये feel करता, आज हम ये feel करता कि इस दुनिया में अगर सबसे ज्यादा अगर कोइ सुखी है तो वो मैं हूँ |  ये सुख दुःख का क्रिएशन, ये stress, ये depression का creation हम अपने से करते | हम कौन चीज करता ? हम जो सोचने का नही, उसको सोचता, जो चीज सोचने का है, उसको नहीं सोचता | हम knowledge कि तरफ पीठ कर लेता है और दुनिया कि तरफ भागता है | पर वो नहीं मिली | हमको knowledge कि तरफ भागना पड़े, दुनिया कि तरफ पीठ करना पड़ी तब पूरा दुनिया हमारे पीछे भागी | आप विश्वास नहीं करेंगे कि आज स्थिति ये है मुझसे flight नहीं छूटता, मैं अगर घर से देर से जाऊंगा तो उस दिन flight भी late ही होगा | उस दिन train भी late होई, अगर मैं घर से late हूँ | मैं worry नहीं करता बिलकुल, मुझे जाना है, मैं जाऊंगा | जब मैं तैयार हो जाऊंगा, तब मैं जाऊंगा | मैं दुनिया के हिसाब से नहीं नहीं चलता, दुनिया मेरे हिसाब से चलती है | मुझे किसी से मिलना है तो मुझे उसे फ़ोन नहीं करना पड़ता, उसके पास खबर नहीं भेजनी पड़ती है | जब मुझे किसी से मिलना होता है वो खुद ही मेरे पास आ जाता है | अब मुझे बैंक बैलेंस कि जरूरत नहीं है | कभी थी, तब मैं सोचता था कि मेरे पास पैसा होना चाहिए, इसके बिना काम नहीं चले | अब मैं सोचता हूँ पैसा कि कौन जरूरत है, मेरा तो सब काम होता है | इससे आपके भीतर फिर confidence पैदा होता है |

जैसे जैसे आपको ज्ञान होता जाय क्योकि जो आदमी जितना जानता अपने ज्ञान के हिसाब से काम करता, जिस आदमी को जितना ज्ञान होता वो उसी के according काम करता | आपके ज्ञान से आपका कर्म बनी, आपके कर्म से आपकी क्रिया बनी | जब आपकी क्रिया होई, तब आपका रिजल्ट आई | जब आपका कर्म सुधर जाई, तो क्रिया भी सुधर जाई और अगर क्रिया सुधर जाई तो रिजल्ट भी अपने आप सुधर जाई | आप जो चीज मांगो, वो चीज आपको मिले | आप मांगो कि आपका लाइफ आपके हाथ में रहे, आप मांगो कि आपका भाग्य आपके हाथ में रहे तो ज्ञान प्राप्त करो | भाग्य बनता कैसे ? माथे पर किसी के पे कुछ नहीं लिखा | कोई भगवान् माथे पर कुछ नहीं लिखा है | इस universe का एक law है, भगवान् तो automatic एक system बनाया है और वो एक universal  law है | क्योंकि जो knowledge है वो always universal होवे है | वो universal law ये है कि जब योग होई, जब दो चीज मिली तब तीसरी चीज बनी | दो चीज के मिले से creation होवे | स्त्री पुरुष के संयोग से generation चलता | रात दिन के संयोग से टाइम चलता है | ये दुनिया योग से चलती है | negative positive, electron प्रोटोन जब मिलता तब energy create होता, matter destroy हो जाता | ये बिजली भी तब जलता जब एक ठंडा तार और एक गरम तार दोनों आपस में मिलता, एक तार से बिजली नहीं जलता | आपका जो चुम्बक वाला energy होवे, उसमें भी एक नार्थ पोल और एक साउथ पोल होवे है, उनके संयोग से energy create होवे है | आपके भीतर भी energy तब create होवे जब २ चीज मिले | this is योग, योग को वो जान सके जो इन चीजों को जान  सके | अपने भीतर कि सब negative positive सब चीजों को मिलते जाओ, अपने भीतर कि सारी negative positive चीजों को मिलाओ तब fusion होई, fusion होई तब matter destroy होई | matter destroy होई, तब energy create होई | this इस law, ये फिजिक्स का law है | ये साइंस का law है | ये हमारे वेदों का law है, ये हमारे शास्त्रों का law है | this is knowledge. ये ज्ञान है | योग के नाम पर exercise करो, पूजा के नाम पर केवल rituals करता रहो | बिना thinking के, बिना सोचे, बिना समझे कोई काम करोगे तो उस से कुछ नहीं होगा |

योग करो, बाहर का और भीतर का | दोनों का योग करो | बाहर हाथ पैरों से जो करता उसके साथ भीतर का अपना feeling, भीतर का अपना thinking का योग करो, उनको आपस में मिलाओ | इसी तरह भाग्य बनता | आपकी परिस्थितियां plus आपका कर्म, जब ये दोनों मिले तब आपका भाग्य बने | अकेले कर्म से भाग्य नहीं बने, अकेले circumstances से भाग्य नहीं बने | जब दोनों मिले तब भाग्य बनी  | ठीक ऐसे जैसे chemistry में आप जानो कि एक fixed temperature पर, एक fixed air pressure पर, यानि एक fixed circumstances में, दो molecules Hydrogen का और एक molecule oxygen का मिले तब पानी बनी | संसार का कोई scientist पानी बनने से नहीं रोक सके | क्योंकि hydrogen oxygen का उस situation में, उस action उस reaction में, भाग्य यही है कि वो पानी बन जाये | आपका भी भाग्य आपका जो कर्म है और आपकी जो situation है, वो जब मिली तब भाग्य बनी | अगर आप मांगो कि भाग्य बदले तो या तो अपनी situation को बदले या फिर अपना कर्म को change करो | situation आपके हाथ में नहीं है, situation को बनावे है ये celestial bodies. लोग बोलते हैं ग्रह | ये ग्रह बनाते हैं situation को, हमारी सारी circumstances को, वो बनाते हैं उसको हम change नहीं कर सके | हम किसी ग्रह को उल्टा नहीं घुमा सके | हम किसी ग्रह को चलने से रोक नहीं सके | हम किसी ग्रह से आने वाली rays को नहीं रोक सके | उसके प्रभाव को नहीं रोक सके | वो हमारे हाथ में नहीं | circumstances हमारे हाथ में नहीं but कर्म हमारे हाथ में होवे है | क्योंकि कर्म को हम करते हैं | उसको change करो, एक भी चीज उनमें से change हो जाये, या तो circumstances change हो जाये या कर्म change हो जाये |

अगर कोई scientist सोचे कि पानी नहीं बनना चाहिए तो या तो temperature change करे या pressure को change करो और अगर इनको भी change नहीं करो तो hydrogen और oxygen का जो ratio है उसको change करो तब भी पानी नहीं बने | लेकिन अगर इनमें से एक भी चीज change नहीं करे तो पानी बनने से दुनिया का कोई scientist नहीं रोक सके | ऐसे ही भाग्य को भी आप नहीं रोक सको अगर आपने एक फिक्स circumstances, fix situation में एक फिक्स कर्म किया है तो रिजल्ट भी उसका fix है उसको आप change नहीं कर सको | आप अगर change करो तो कर्म को change करो | क्योंकि situation आपके हाथ में नहीं है आप उसको change नहीं कर सको | इसीलिए गीता में भगवान् कृष्ण ने बताया

कर्मण्ये व धिकारस्ते, माँ फलेषु कदाचिन |

कर्मणि एव अधिकार अस्ते – तेरा अधिकार कर्मणि एव – कर्म में ही है एव पर ध्यान दीजिये एव माने ही है | it means और किसी चीज में तुम्हारा right नहीं है केवल कर्म में ही है, situation में तुम्हारा right नहीं है | उसे आप change नहीं कर सको | मा फलेषु कदाचिन – भगवान् कहते हैं कि मा माने नहीं फलेषु माने रिजल्ट में जो फल है कदाचिन माने कभी भी – रिजल्ट में तो कभी भी नहीं है | हाँ, situation में आप थोडा सा कुछ कर सके हैं, रिजल्ट में तो कुछ भी नहीं कर सकते | Rainy season है पानी गिर रहा है, this is situation, आप बारिश को रोक नहीं सको, situation आपके हाथ में नहीं है but अपना कर्म अपने हाथ में है | आप छाता लेके निकल सको तो भीगने से बच जाओगे | अपना कर्म से आप रिजल्ट को change कर सको | Situation आप नहीं बदल सको | ये जो ज्योतिष होवे, पत्रा दिखावें, जन्मपत्री दिखावें | इस पत्रा और जन्मपत्री से केवल situation का पता चलता है कि ये situation है पंडित का duty है कि वो बतावे कि इस situation में ऐसा काम करो, ऐसा सोचो, ऐसा feel करो | उसके लिए पहले अपना thinking के ऊपर, अपना feeling के ऊपर, अपना emotions के ऊपर, अपना desires के ऊपर कण्ट्रोल करना पड़ी तभी तो आप वैसा सोच सको, जब control ही नहीं है तो आप सोच नहीं सको उस तरह से | उसके लिए गुरु कि जरूरत पड़े, वो बतावे कि कैसे control करो | तब आपका भाग्य आपके हाथ में रही | जैसा मांगो, वैसा होई | आप ही भगवान् है, You are God. आपके ही भीतर भगवान् है उसको आप जान सको तब, इसके लिए गुरु कि आवश्यकता होवे |

 बोलिए श्री गुरु भगवान् कि जय

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December 11, 2017

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