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सद्गुरु कौन है और गुरु की आवश्यकता भाग – 3

विषय प्रारूप (वर्गीकरण ) –

१. भ्रम को कैसे रोकें बनने से ?   २. कर्म कहाँ गलत हो गया             ३. धर्म और रिलिजन में अंतर

४. हिन्दू शब्द का अर्थ         ५. किस भगवान् की पूजा  ?        ६. भगवान् की पूजा या भगवान् से डर ?

७. जीवन में क्या जरूरी है ?         ८. पूजा कैसे करें  ?                   ९.  एक विश्वास

१०. भगवान् से रिलेशन बनाइये  ?        ११. भक्ति कितने प्रकार की होती है ?

१२. आस्तिक कौन है ?                 १४. तीन दिनों के लेक्चर का conclusion  ?          १५. Watch Yourself

१६ तप कैसे करें  ?                                    १७. एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति

सद्गुरु कौन है और गुरु की आवश्यकता भाग-३ 

(कनाडा में हुए संवाद का यथारूप)

दो दिनों से चर्चा चल रही थी गुरु की | गुरु का काम है कि आपके भीतर से, शिष्य के भीतर से अज्ञान को निकाले | अज्ञान, यही जो illusion होते हैं, वहम, भ्रम हो जाते हैं, इन भ्रमो को बाहर निकाले | तरह तरह के भ्रम हम पालते हैं | बड़ी जल्दी किसी भी बात के बारे में opinion बना लेते हैं, सोचते नहीं | जब वो भ्रम टूटता है, तब बड़ी तकलीफ होती है | हम सोचते हैं कि ये हमारे काम आएगा, ये हमारा अपना है, जब वो काम नहीं आता, तो भ्रम टूटता है, तकलीफ होती है, दुःख होता है | कोई भी, कैसा भी भ्रम हो, जब टूटेगा तो मन को तकलीफ होगी | अच्छा है कि हम भ्रम को बनने ही न दें |

भ्रम को कैसे रोकें बनने से ? ये presumption, assumption, illusion, delusion इनको कैसे रोका जाए ? इनको रोकने का एक ही तरीका है कि रात को सोते समय जब हम बिलकुल अकेले होते हैं, जब तक खाट में लेटने के बाद नींद नहीं आती तब तक कम से कम ये सोचें आज हमने दिन भर में जो कुछ किया उसको करने के पीछे हमारा मोटिव क्या था ? हम जो कुछ भी बोले किसी से उसके पीछे हमारा मोटिव क्या था ? जो कुछ भी किया उसके पीछे हमारा मोटिव क्या था ? उस मोटिव को रोजाना पहचानने की कोशिश कीजिये | जब आप रोज अपने मोटिव को वाच करेंगे, तब आपको पता लगेगा कि कहाँ गड़बड़ हुई आपसे | कर्म कहाँ गलत हो गया क्योंकि फल तो कर्म का मिलता है | तब आपको अपने आप पता लग जायेगा कि ये ये कर्म गलत हैं यानी ये सोचना गलत था, ये हमारी इच्छा गलत थी, हमारी ये भावना गलत थी, हमारी ये फीलिंग गलत थी, तब पता लगेगा आपको |

बहुत से लोगों को भ्रम होता है कि हम तो भगवान् के पास चले जायेंगे, भगवान् के पास जाकर माफ़ी मांग लेंगे, सब काम हो जायेगा | कुछ लोगों को होता है, सुबह नहाते हैं, जल्दी जल्दी भगवान् के आगे हाथ जोड़ कर काम पर चले जाते हैं | हो गया काम | जैसे भगवान् कि पूजा नहीं बल्कि भगवान् पर अहसान कर रहे हैं कि हमने तेरा नाम ले लिया | कोई पांच बार नाम ले लेता है, कोई दो बार नाम ले लेता है, कोई ग्यारह बार नाम ले लेता है, समझता है कि काम बन गया |

कैसे कैसे हम भ्रम पालते हैं | एक भ्रम हम हिन्दू रिलिजन के बार में भी पाले हुए हैं, सब हिन्दू पालते हैं, मैं उस भ्रम की और बात करूँगा फिर आज conclude करूँगा सारी बातों को | रिलिजन के बारे में हम नहीं सोचते कि रिलिजन है क्या चीज ? अंग्रेजी में जिसको रिलिजन कहते हैं, फारसी में उसको ईमान कहते हैं | हिंदी और संस्कृत भाषा में उसे सम्प्रदाय कहते हैं, धर्म नहीं कहते हैं, ये ध्यान रखना  | धर्म अलग चीज है, रिलिजन अलग चीज है | धर्म को तो केवल हिन्दुस्तान के ऋषि और मुनियों ने ही पहचाना और किसी देश में किसी ने धर्म को नहीं पहचाना | वहां पर रिलिजन है, वहां पर ईमान है और उस तरह की चीज को हमारे यहाँ सम्प्रदाय कहते हैं | रिलिजन का मीनिंग है, one God, One Book, One way of Worship. एक भगवान्, एक पुस्तक और एक पूजा का तरीका | क्रिश्चिन को लीजिये, एक भगवान् है उनका… ईश्वर, जिसे GOD कहते हैं | एक पुस्तक है उनकी Holy Bible और एक उनका पूजा करने का तरीका है | मुसलमानों को लीजिये, उनका एक भगवान् है, खुदा | उनकी एक पुस्तक है, कुरआन शरीफ | उनका अपना एक पूजा करने का तरीका है | सब रिलिजन में आपको यही मिलेगा, एक भगवान्, एक किताब, एक पूजा करने का तरीका  | पर हिन्दुओं में आप देखें, भगवान् बहुत हैं, पुस्तक भी बहुत हैं और पूजा करने के तरीके भी बहुत हैं | अब सोचिये कि क्या हिन्दू रिलिजन है ? क्योंकि रिलिजन में तो एक भगवान्, एक पुस्तक और एक पूजा का तरीका होता है | आदमी सोचना नहीं चाहता, महात्मा, पंडित लोग पूजा करके भीड़ इकट्ठी कर रहे हैं और अपने follower बनाते चले जा रहे हैं, हिन्दू धर्म, हिन्दू रिलिजन, हिन्दू धर्म की बात करते जाते हैं जबकि न वो धर्म का अर्थ जानते हैं और न रिलिजन को जानते हैं | क्योंकि वो तो एक मीडिएटर  बनना चाहते हैं आपके और भगवान् के बीच में | वो आपको truth नहीं जानना देना चाहते | अगर आप मेडिकल साइंस जान जायेंगे तो आपको डॉक्टर की जरूरत नहीं रह जाएगी | आप धर्म के बारे में जान गए, रिलिजन के बारे में जान गए तो बिचौलिए की जरूरत नहीं पड़ेगी, मीडिएटर की जरूरत नही पड़ेगी |

हिन्दू शब्द हिंदी भाषा का नहीं है, संस्कृत भाषा का नहीं है | संस्कृत के किसी भी ग्रन्थ को पढ़ लीजिये, सारे शास्त्र पढ़ लीजिये, सारे पुराण पढ़ लीजिये, सारे वेद पढ़ लीजिये, हिन्दू शब्द कहीं लिखा नहीं मिलेगा | क्यों ? क्योंकि हिन्दू शब्द पर्शियन भाषा का है | पर्शियन लोग हमारे देश को हिन्दुस्तान कहते थे, यहाँ पर रहने वालों को हिन्दू कहते थे, यहाँ की भाषा को हिंदी कहते थे | ये हिन्दी नाम भी हमारा नहीं है | ये पर्शियन लोगों ने यानि  मुसलमान लोगों ने जब हमारे ऊपर राज किया तब उन्होंने ये नाम हमको दिया और हम गुलाम थे, हम लोगों ने मान लिया कि ये जो कह रहे हैं, यही सही है | हमारे देश का नाम तो भारत था, हिन्दुस्तान नहीं था | सिन्धु एक नदी है भारत देश में और सिन्धु नदी के किनारे ये देश बसा हुआ था | जब ईरान से भारत आयेंगे, जब पर्सियन देशों से भारत आयेंगे तो पहले सिन्धु नदी पड़ती है और सिन्धु नदी के आगे का जो किनारा है वो भारत वर्ष का किनारा है | पर्शियन लोग ‘ह’ बोलते थे ‘स’ को | ‘स’ नहीं बोल पाते थे ‘ह’ बोलते थे  | इसलिए वो सिन्धु को हिन्दू बोलते थे | गोरे लोग, ब्रिटिश लोग ‘ह’ नहीं बोल पाते थे वो हिन्दू को इंड बोलते थे | ‘द’ नहीं बोल पाते, ‘द’ को ‘ड’ बोलते हैं अंग्रेज लोग | तो वो इंड बोलते थे | उन्होंने हमारे देश का नाम इण्डिया कर दिया, मुसलमानों ने हमारे देश का नाम हिन्दुस्तान कर दिया, उन्होंने, गोरे  लोगों ने हमें इंडियन कह दिया, मुसलमानों ने हमें हिन्दू कह दिया और हम बेवकूफ अपने को इन्डियन मानने लगे और  हिन्दू मानने लगे | हम तो भारतीय हैं, हमारे देश का नाम भारत था |

अब, फिर हिन्दू का मीनिंग क्या है ? हिन्दू का वही मीनिंग है जो इंडियन का मीनिंग है | इंडियन माने भारत का रहने वाला | हिन्दू का भी यही मीनिंग है, हिन्दुस्तान का  रहने वाला, भारत का रहने वाला |  हिन्दू मीन्स इंडियन | रिलिजन का मीनिंग है, मैं फिर आता हूँ, one god, one book, one way of worship. In Hindus, There are so many Religions. हिन्दुओं में बहुत से रिलिजन है | शैव रिलिजन है, शैव सम्प्रदाय जिसे हम कहते हैं | वो केवल एक भगवान् को मानते हैं, शिव को, एक ही पुस्तक को मानते हैं, शिव पुराण, एक ही उनका पूजा का तरीका है | एक रिलिजन हमारे देश का है, बौद्ध रिलिजन, एक ही उनका भगवान् है, एक ही उनकी पुस्तक है और एक ही उनका पूजा का तरीका है | एक रिलिजन हमारे देश का है जैन, उनका भी एक ही भगवान् है, एक ही किताब है और एक ही पूजा का तरीका है | एक और रिलिजन हमारे देश का शाक्त रिलिजन, शाक्त सम्प्रदाय, जो भारत के पूर्वी भाग में चलता था, अब तो पूरे भारत में है | शाक्त रिलिजन, एक ही ईश्वर यानि दुर्गा माता को मानता था, एक ही पुस्तक देवी भागवत महापुराण और एक ही पूजा का तरीका | एक हमारे देश का रिलिजन है, वैष्णव, जो केवल विष्णु जी को ही भगवान् मानता है, भागवत को ग्रन्थ मानता है और एक ही पूजा का तरीका है |

हिन्दुओं में, भारतवर्ष में बहुत से रिलिजन है | समय समय पर बहुत से रिलिजन पैदा हुए, आज भी हो रहे हैं | सिख रिलिजन बहुत पुराना नहीं है | वो भी भारत में ही पैदा हुआ | सिख कोई रिलिजन पहले का नहीं है | हिन्दू ही थे ये भी | संस्कृत का ‘शिष्य’ शब्द बिगड़ कर के सिख बन गया है | वो भी अपने गुरु को ही मानते हैं | जिस पुस्तक को मानते हैं, गुरु ग्रन्थ साहिब, वो उनकी ही पुस्तक है | एक ही पुस्तक है, एक ही ईश्वर है, एक ही पूजा का तरीका है |  रिलिजन या  सम्प्रदाय बनते हैं और बिगड़ते रहते हैं | भारत वर्ष में हजारों लाखों करोड़ों…. ३३ करोड़ देवता हैं | आप सोचिये, कितने रिलिजन हो सकते हैं हमारे देश में |

आदमी को क्या करना है, मनुष्य को क्या करना है ? वहम नहीं पालना है | hindu is not a religion. In Hindus, There are so many Religions and every Hindu is free to choose his own religion. आप स्वतंत्र हैं अपना भगवान् चुनने के लिए, आप स्वतंत्र हैं अपना सम्प्रदाय, अपना रिलिजन चुनने के लिए | जिस भगवान् में आपका सबसे ज्यादा मन लगता हो, जो भगवान् आपको सबसे ज्यादा अच्छा लगता हो, उसी भगवान् की उपासना कीजिये, उसी पर विश्वास कीजिये,उसी की पूजा कीजिये, वही सब कुछ देगा | आज कल आदमी को भगवान् पर विश्वास तो इतना सा भी नहीं है | आज कल आदमी भगवान् से इतना भी प्रेम नहीं करता | हाँ, एक चीज है आज कल,  हमारे हिन्दुओं में खास तौर से, भगवान् के प्रति आस्था, श्रद्धा, प्रेम नहीं है, डर है, भय है | GOD fearing है, डरता है कि भगवान् नाराज न हो जाए | इस साल हमने पूजा नहीं किया अपने घर में, कोई आफत आ गयी, अरे ! भगवान् का इस साल पूजा नहीं किया | Fear है, love नहीं है भगवान् से, admire नहीं करते भगवान् को | हम भगवान् पर faith नहीं करते, हमारा कोई believe नहीं है | हम डरते हैं, जबकि कोई रिलिजन डरना नहीं सिखाता | हम रिलीजियस हैं ही नहीं | भगवान् से डरने की आवश्यकता है ही नहीं | भगवान् के बारे में रामायण में, गीता में, वेदों में, पुराणों में, शास्त्रों में सब में बताया गया है, भगवान् बड़ा दयालु है, भगवान् बड़ा merciful है | हर religion यही बताता है कि God is merciful. मुसलमान भी यही कहते हैं, कि खुदा सबके ऊपर दया करता है, अल्लाह-हो-अकबर | वो अल्लाह, वो जो ईश्वर है, वो अकबर है | अकबर का मीनिंग है, दया करने वाला है | क्रिश्चिन भी कहते हैं God is merciful. हम भी कहते हैं, भगवान् बड़ा दयालु है, भगवान् बड़ा कृपालु है | जब वो दयालु है, कृपालु है, सबको दया करता है, सबको प्रेम करता है, तब फिर उस से डरने की कौन जरूरत है, मेरी समझ में नहीं आता |

ये क्या है ? ये illusion है, ये delusion है, हमने अपने भीतर पाल रखा है, हम बेकार में डरते हैं, भगवान् से | भगवान से डरने की आवश्यकता नहीं है, उसे प्यार करने की जरूरत है, भगवान् में श्रद्धा करने की जरूरत है, भगवान् में विश्वास करने की जरूरत है, भगवान् पर आस्था करने की जरूरत है, डरने की जरूरत नहीं है |

आप भगवान् से कुछ चाहते हैं तो उस पर आस्था कीजिये, आप भगवान् से कुछ चाहते हैं तो उस पर विश्वास कीजिये | अगर आप भगवान् से चाहते हैं कि वो आपको प्रेम करे, दया करे तो आप भी उसे प्रेम कीजिये | देखिये, भगवान् कितना दयालु है, सोचिये हमारे ज़िंदा रहने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी चीज कौन सी है, आप सोचिये | हमारे जिन्दा रहने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी चीज है….Air, हवा | अगर हवा नहीं हो, दस मिनट सांस नहीं चलेगी, मर जायेंगे, हवा ऐसी चीज है जिसके बिना ज़रा सी देर भी ज़िंदा नहीं रह सकते | पांच मिनट भी रहना मुश्किल हो जाता है, अगर पांच मिनट के लिए सांस रोक लें तो | भगवान् कितना दयालु है….. Air is Everywhere.  हवा उसने सब जगह दी है और पूरी धरती पर और पूरी  दुनिया में हवा है और सांस लेने के लिए कोई effort नहीं करने पड़ते हैं और वो हवा अपने आप भीतर जाती है और अपने आप ही बाहर आती है | कितना दयालु है, हमको ज़िंदा रहने के लिए जो सबसे ज्यादा जरूरी चीज है वो उसने दी है | हवा के बाद उस से कम जरूरी एक और चीज है, पानी ! पानी के बिना हम दस दिन, पांच दिन रह सकते हैं | पानी के बिना जब दस दिन, पांच दिन रह सकते हैं तो हमारे पास टाइम है, पानी को gain करने के लिए, effort करने को पानी को gain करने के  लिए | भगवान् ने, कितना दयालु है जितने पानी की जरूरत है उतना पानी बनाया | २/३ धरती पर पानी है, पूरी धरती पर नहीं है | कितना दयालु है, हमारी जरूरत की हर चीज उसने दी है |

तीसरी चीज हमारे लिए जो सबसे ज्यादा पानी के बाद  जरूरी है, वो फ़ूड, भोजन है | भोजन के बिना हम महिना दो महीना रह सकते हैं | टाइम है हमारे पास effort करने का, मौका है हाथ भी दिये हैं effort करने के लिए, पैर भी दिया है, मुंह भी दिया है, सब चीजें दी हैं उसने effort करने के लिए, दिमाग भी दिया है सोचने के लिए, उसने सारे तो इंतजाम कर रखे हैं हमारे लिए | और दो महीने का टाइम भी दिया है उसने effort करने के लिए, हम मरेंगे नहीं भोजन के बिना, effort करो, भोजन पाओ | चाहे तो पैसा कमा के बाजार से खरीदो भोजन और चाहे तो अपने से खेती करके उगाओ जमीन में से | आपके पास टाइम है | उस से कम जरूरी है, कपड़े ! कपड़े के बिना एक सीजन को तो निकाल देंगे, पूरे समर को तो निकाल देंगे हम | कोई प्रॉब्लम नहीं है, वो कम जरूरी है |

कपड़ा भोजन से ज्यादा महंगा है, कपड़े के लिए ज्यादा और ज्यादा effort करना पड़ता है | उससे कम जरूरी है, मकान, घर, छत | वो कपड़े से भी ज्यादा महंगा है, उसके लिए कपड़े से भी ज्यादा effort करने पड़ते हैं | जो चीज जितनी कम जरूरी है, उसको पाने के लिए उतना ही ज्यादा effort करना पड़ता है | जो चीज जितनी ज्यादा जरूरी है, वो चीज उतनी आसानी से दी हुई है हमें भगवान् ने | देखिये कितना दयालु है | पर हम कितने मूर्ख हैं, अब इसको सोचें जरा | हम कितने illusion पाले हुए हैं, कितने delusion पाले हुए हैं, जिस हवा के बिना हम पांच मिनट नहीं रह सकते, उस air को हम pollute करते हैं | उस वाटर को हम pollute करते हैं और जिस गोल्ड के बिना हम मर नहीं सकते, जिसके बिना हमारा कोई काम नहीं रुकेगा, वो गोल्ड, वो गोल्ड हमको pure चाहिए !!! सुनार को जाके बताएँगे, शुद्ध, २४ केरेट का होना चाहिए | हम उन चीजों के पीछे भाग रहे हैं, जो गैर जरूरी हैं, जो जरूरी चीज हैं, उनके बारे में हम सोच नहीं रहे हैं | मैं भारतवर्ष में देखता हूँ, हरिद्वार में रहने वाले लोग, प्रयाग में रहने वाले लोग अपने बाथरूम में नहाते हैं, अपने घरो में नहाते हैं और मैं देखता हूँ, कि यहाँ अमेरिका, कनाडा से लोग भाड़ा भरके हरिद्वार नहाने जाते हैं, गंगा में | गंगा उनके शहर में बह रही है, हरिद्वार में, वो बाथरूम में नहा रहे हैं और जिनके यहाँ से गंगा बहुत दूर है, वो वहां से भाड़ा भर के गंगा में नहाने जाते हैं | क्या है ये ? जो चीज आपको आसानी से नहीं मिल रही है, जो जरूरी नहीं है, उसके पीछे भाग रहे हैं, जो चीज जरूरी है और आसानी से मिली हुई है, उसको gain करके खुश नहीं है |

खुश होना आदत में ही नहीं है हमारे में, हमने ये delusion पाल रखे हैं, हम समझते हैं कि ये बेकार की चीजें ज्यादा जरूरी हैं | ये चमक दमक हमारे लिए ज्यादा जरूरी है, उनके पीछे हम भाग रहे हैं, भगवान् तो दयालु है, उसने तो हमें सब चीजें दे रखी हैं | उसने तो सोना भी बना दिया धरती पर, तेरी इच्छा है, तू उसी के पीछे भाग, तेरा मन जहां कहे वहां भाग | लेकिन भगवान् ने हमें बुद्धि दी है, हमें सोचना चाहिए कि हमें उन्ही चीजों के पीछे भागना चाहिए, जो जरूरी हैं | अगर सोने की जरूरत है, तो सोने के पीछे पीछे भी जाओ | ऐसी बात नहीं है कि सोने की जरूरत नहीं पड़ती है | बहुत से कामों में आता है लेकिन लोग काम में लेने की बजाय लाकर के उसे तिजोरी में बंद करके रख देते हैं | तो फिर यूज़ क्या कर रहे हैं उसका ? कोई यूज़ नहीं कर रहे हैं | यूज़ करो तो चलो उसको भी gain करो, कोई हर्ज नहीं है  लेकिन यूज़ नहीं करते हैं |

भगवान् तो बहुत दयालु है, भगवान् तो merciful है, तो फिर उस से डरने की क्या जरूरत है भाई ? बिना मांगे उसने air दी है, बिना मांगे water देता है, बिना मांगे भोजन देता है.. सब कुछ तो हमको दे रहा है, फिर भी हम डर रहे हैं तो हमसे बड़ा पागल कौन है ? क्यों डर रहे हैं ? Truth ये है कि हम भगवान् से नहीं डरते, हम डरते हैं अपने कर्मो से | हम डर रहे है, की ये जो बिना सोचे समझे हम कर रहे हैं, ये जो बिना सोचे समझे हम जिंदगी को जिए जा रहे हैं…उस से | भगवान् से नहीं डर रहे हैं | लेकिन भगवान् पर दोष देते हैं, कि भगवान् ये खराब कर देगा, भगवान् वो खराब कर देगा | इस डर के कारण बहुत से लोग क्या करते हैं सब भगवानो की पूजा करते हैं लाइन से | उनका भला नहीं होगा, भला उसका होगा जो एक की पूजा करेगा |

गीता में भगवान् ने कहा – एको देवा केशवोवा शिवोवा | एक देवता की पूजा कीजिये चाहे वो शंकर भगवान् हो, चाहे वो विष्णु भगवान् हो, चाहे वो राम भगवान् हो, चाहे वो कृष्ण भगवान् हो | किसी एक की पूजा कीजिये सबकी नहीं | यहाँ तो लोग सबकी पूजा कर रहे हैं | आदमी दिमाग से ये नहीं सोच रहा है, कि जब सबकी पूजा करेगा तो जो फीलिंग है भगवान् के लिए वो divide हो जाएगी | भगवान् मांगता है अखंड भावना | टुकड़ों में फीलिंग नहीं मांगता वो आपकी, वो मांगता है पूरी भावना | पूरा मैडिटेशन, पूरा समर्पण चाहता है | जब आप छह भगवानो की पूजा करेंगे तो समर्पित तो कहीं नहीं हो सकते क्योंकि समर्पण हमेशा केवल एक के प्रति ही हो सकता है | इसलिए पूजा तो केवल एक ही भगवान् की करनी चाहिए | यही गीता में लिखा है | बहुत से प्रीचर लोग बता देते हैं, रामायण की चौपाई सूना देते हैं….

शिव द्रोही मम दास कहावा, सो नर मोहे सपनेहु नहीं भावा |

अरे ! रामचन्द्र जी ने कहा है, शंकर जी की पूजा करो | ये नहीं कहा है, चौपाई का मीनिंग गलत करते हैं, उसका अर्थ, ट्रांसलेशन गलत करते हैं | शिव द्रोही, द्रोही मतलब दुश्मनी मानने वाला | भगवान् राम बोलते है की अगर मेरा भक्त भगवान् शिव से दुश्मनी मानता है तो मुझको अच्छा नहीं लगता है | उन्होंने ये नहीं कहा है कि मेरी पूजा करने के साथ साथ शंकर जी की भी पूजा करो | ये कहीं नहीं कहा उन्होंने | अरे ! बाप एक होता है, काका, दादा बहुत से हो सकते हैं, आप काका, दादा को बाप नहीं बना सकते | पूजा एक ही भगवान् की करनी है और सब भगवान् की respect कीजिये | सम्मान कीजिये, मंदिर में जाते हैं, इतने भगवान् हैं, सबके हाथ जोडीये लेकिन पूजा करें, जाप करें, पाठ करें केवल एक का करें | जो सब भगवान् का जप करते हैं, पाठ करते हैं उनकी कोई भगवान् हेल्प नहीं करता, उनकी कोई भगवान् मदद नहीं करता |

एक हिन्दू था, एक मुसलमान था, एक नास्तिक था जो किसी धर्म को नहीं मानता था | तीन दोस्त थे, जंगल में जा रहे थे | रास्ते में एक ग्रीक पड़ा, नाला | नाले के ऊपर कोई पुल नहीं था, अब कैसे पार करें नाला | हिन्दू ने सोचा, मेरे भगवन राम हैं, भगवान् राम में इतनी ताकत है कि कुछ भी कर सकते हैं | उसने मन में सोचा कि हनुमान जी ने भगवान् राम का नाम लेके समुन्द्र को पार कर गए थे, तो ये छोटा सा नाला मैं  पार नहीं कर सकता, भगवान् राम का नाम लेके, उसने दोनों हाथ ऊपर उठाये, उसे faith था अपने भगवान् पर, उसने दोनों हाथ ऊपर उठाये और जोर से बोला – हे राम ! कूद गया और उस पार पहुच गया | नाला पार कर गया | मुसलमान सोचने लगा, कि इसका भगवान् राम जब इसको पार लगा सकता है तो मेरा खुदा क्यों नहीं लगा सकता है | उसने भी दोनों हाथ ऊपर उठाये और जोर से कहा – या खुदा ! और कूद गया | वो भी पार पहुच गया | नास्तिक सोचने लगा मैं किसका नाम लूं ? वो तो किसी भगवान् को नहीं मानता था | उसने सोचा कि ये राम का नाम लेकर पार हो गया, ये खुदा का नाम लेकर पार हो गया, चलो दोनों का नाम लेते हैं | उसने दोनों हाथ ऊपर उठाये और जोर से कहा – रमखुदैया ! और कूद गया |  वो नाले के बीच में गिर गया | उसने दोनों से पुछा की भाई तैने भगवान् राम का नाम लिया तू पार हो गया, तैने खुदा का नाम लिया, तुम भी पार हो गए फिर मैंने   दोनों का नाम लिया तो मैंबीच में क्यों गिर गया ? दोनों दोस्तों ने उसे समझाया, अरे पागल ! राम भगवान् सोचते रहे कि तुझे खुदा बचाएगा, खुदा सोचते रहे कि तुझे राम भगवान् बचायेंगे | तुझको किसी ने नहीं बचाया |

जो बहुत से देवताओं की पूजा करता है, उसे कोई नहीं बचाएगा | जो सबको अपना माई-बाप बना रहा है उसका कोई अपना नहीं होता | अपना उसी का होगा, जिसका एक ही माई-बाप होगा | काका दादा सबका respect करो | भगवान् राम ने जो कहा –

शिव द्रोही मम दस कहावा, सो नर मोहे सपनेहु नहीं भावा |

इसका मतलब है कि अगर मुझको बाप मानते हो तो काका दादा की भी respect करो, उनकी बेइज्जति मत करो | ये नहीं कहा उन्होंने कि मुझे मानना छोड़ कर के उनकी पूजा शुरू कर दो, ये कहीं नहीं लिखा उन्होंने | ये भी नहीं कहा कि उनकी भी पूजा करो | लेकिन wrong इंटरप्रिटेशन करते हैं लोग | इन wrong इंटरप्रिटेशन से illusion create होते हैं, delusion create होते हैं |

आदमी सबकी पूजा करने लग जाता है, सबकी पूजा करने लग जाता है तो रिजल्ट कुछ मिलता नहीं | बहुत से लोग कहते हैं, अरे हम इतनी पूजा करते हैं, सब भगवानो का मंदिर हमने घर में बना रखा है, कुछ नहीं होता है | पंडित जी बताओ कैसे पूजा किया जाए | अरे पूजा कैसे किया जाए, पूजा करना तो बहुत आसान है | भगवान् की भक्ति करना तो बहुत आसान है | भक्ति करना मुश्किल नहीं है, उसके लिए दिमाग खर्च नहीं करना है | लेकिन सबसे पहली चीज तो जानो को किस भगवान् की पूजा करें | एक को पकडिये, चाहे जिस को पकडिये | जो आपको सबसे अच्छा लगता हो, जिसमें आपका सबसे ज्यादा मन लगता हो | लेकिन preacher क्या करते हैं ? कोई एक preacher आएगा वो कृष्ण जी की पूजा करता है तो वो कहेगा, कृष्ण जी की पूजा करो | कोई दूसरा preacher आएगा वो हनुमान जी की पूजा करता है तो वो कहेगा हनुमान जी की पूजा करो | तीसरा preacher आएगा, वो शंकर भगवान् का भक्त है तो वो कहेगा, शंकर भगवान् की पूजा करो | और आदमी दिमाग से नहीं सोच रहा है, सबकी पूजा शुरू कर देता है कि ये भी ठीक है, ये भी ठीक है, ये भी ठीक है |

एक राजा था | खूब भारी उसकी संपत्ति थी | खूब संपत्ति थी, बड़ा भारी उसका राज्य था | एक कमी थी उसके यहाँ कि उसके कोई संतान नहीं थी | कोई लड़का नहीं था उसके | मन में सोचता था, इतना बड़ा राज्य है मेरा, इतना बड़ा Estate है मेरा, मेरे मरने के बाद इसको कोई यूज़ करने वाला नहीं है | ये राज कैसे चलेगा ? दुखी रहता था | एक दिन अपने दरबार में बैठा था राजा, उसी समय एक महात्मा आये | राजा धार्मिक था, सिन्हासन से उठ कर राजा ने पैर छुए, उनको सिंहासन पर बैठा दिया और खुद नीचे बैठ गया | महात्मा जब सिंहासन पर बैठ लिए, राजा ने पैर छु लिए तो महात्मा को चेहरा देख कर लगा कि राजा कुछ परेशान है | महात्मा ने राजा से पुछा कि राजन ! ऐसा लगता है कि तुम कुछ परेशान हो | राजा बोला, महराज, आपकी कृपा से और ईश्वर की कृपा से सब कुछ है मेरे पास बस एक कमी है कि मेरे संतान नहीं है, अगर आप कोई उपाय बता दें, तो संतान हो जाएगी | महत्मा को दया आई | महात्मा ने राजा से कहा कि देखो कृष्ण भगवान् का पूजा करो, एक साल तक रेगुलर | रोजाना पूजा करो कृष्ण भगवान् का, संतान हो जाएगी | राजा को उस preacher पर, उस महात्मा पर भरोसा था, विश्वास था | महात्मा तो चला गया, राजा एक बहुत बढ़िया सोने की मूर्ती कृष्ण भगवान् की लेकर के आया | एक रूम में मंदिर बनाया, बढ़िया एक सिंहासन बनाया, सिंहासन के ऊपर मूर्ती रखी | रोजाना पूजा करने लगा, दिया बारता, अगरबत्ती जलाता | नए नए कपड़े रोज भगवान् को पहनाता, रोज नया मुकुट भगवान् को लगाता | रोज रकम रकम के भोग प्रसाद भगवान् को लाकर चढ़ाता | नाना प्रकार के भोजन तैयार करता भगवान् के लिए | बड़ी भारी पूजा करता था, everyday, two hours. फिर बैठ कर के मन्त्र का जाप करता था | एक साल हो गया | धीरे धीरे डेढ़ साल हो गया | छह महीने और निकल गए, कोई संतान नहीं हुई राजा के यहाँ | अब राजा सोचने लगा कि ये भगवन तो फ़ैल हो गया | अब मन में confusion create होने लगा कि भगवान् गलत रहा या वो महात्मा गलत बात बता गया मुझको | राजा ने फिर पूजा बंद कर दिया |

कुछ दिन बाद एक दुसरे महात्मा आये | ये होता है, एक preacher आता है, फिर हिन्दुस्तान से दूसरा preacher आ जाता है | पहला preacher बता जाता है की कृष्ण की पूजा करो, दूसरा preacher आ कर बता जाता है, शंकर जी की पूजा करो | तीसरा बता जाता है कि राम भगवान् सबसे बड़े हैं उनकी पूजा करो | वही उसके साथ भी हुआ, राजा के साथ | कुछ दिन बाद एक दूसरे महात्मा आये, राजा ने उनके भी पैर छुए, उनको भी सिंहासन पर बैठाया, नीचे बैठ गया खुद | महात्मा ने देखा कि राजा दुखी है | महात्मा ने पुछा कि राजा क्या बात है, दुखी नजर आ रहे हो | राजा ने कहा, महाराज, आपकी कृपा से और ईश्वर के आशीर्वाद से मेरे पास सब कुछ है, संतान नहीं है | अगर आपकी कृपा हो जाए तो संतान हो जाए | महात्मा देवी के भक्त थे, उन्होंने कहा ऐसा करो, एक साल तक दुर्गा माता की पूजा करो, संतान हो जाएगी | राजा ने कहा ये भी ठीक है | अब दुर्गा माँ की एक बड़ी सुन्दर सोने की मूर्ती लाया | एक बड़ा अच्छा सिंहासन लाया, कृष्ण भगवान् की जो मूर्ती थी, उस मूर्ती के ऊपर वो सिंहासन लगा कर उस पर वो मूर्ती रखी | अब रोज दिया बारता, दुर्गा माता के श्रुंगार करता, चुनरी पहनाता, सिन्दूर चढ़ाता, बड़ा भारी पूजा करता रोजाना और रकम रकम के प्रसाद चढ़ाता, हलुआ, पूड़ी और जाने क्या क्या चढ़ाता उसके ऊपर, खीर, वीर सब चढ़ाता उसके ऊपर और फिर बैठ कर दुर्गा माता का भजन करता, पाठ करता  | फिर उसके बाद एक साल हो गया, डेढ़ साल हो गया, कुछ नहीं हुआ राजा के यहाँ | अब राजा सोचने लगा, वो महात्मा आया तो कृष्ण भगवान् को बता गया, ये महात्मा आया तो दुर्गा माता को बता गया | मैंने बहुत अच्छी तरह से दोनों का पूजा किया | काम क्यों नहीं बना ?

एक दिन मन में सोचा, पूजा तो करता जा रहा था वो दुर्गा माता की, बंद नहीं की उसने डेढ़ साल बाद भी | मन में सोचता जा रहा था कहीं ऐसा तो नहीं कि मेरी पूजा में कोई गड़बड़ होए | जब आदमी का काम नहीं बनता तब सोचता है कि क्या गड़बड़ हो गयी, क्यों नहीं बन रहा है | तब सोचना शुरू किया उसने, कहीं कोई गड़बड़ हो गयी है | फिर सोचने लगा, सबसे पहले मैं स्नान कराता हूँ दुर्गा माता को, स्नान कराने के बाद, कपड़े पहनाता हूँ, फिर टीका लगता हूँ, सिन्दूर भी चढ़ाता हूँ, चूड़ी भी चढ़ाता हूँ, सब श्रुंगार करता हूँ, कपड़े भी पहनाता हूँ, दुर्गा माता को | सब चीजे तो करता हूँ | प्रसाद भी चढ़ाता हूँ, सब कुछ तो करता हूँ और पाठ भी करता हूँ, घंटे भर बैठ कर | फिर क्या प्रॉब्लम है ? जब कुछ नहीं समझ में आया तब एक बात समझ में आई मोटी अकल में राजा की कि ये जो मैं अगरबत्ती जलाता हूँ, अगरबत्ती जला कर नीचे रख देता हूँ तो नीचे से जब अगरबत्ती की smell ऊपर जाती है, वो धुआं ऊपर जाता है तो कृष्ण भगवान् जो बीच में बैठा है, ये सूंघ लेता है और फिर वो धुआं जूठा हो कर के दुर्गा माता के पास जाता है इसलिए दुर्गा माता खुश नहीं हो रही | दिमाग में आया, तो वहां रुई रखा रहा, दिया बनाने के लिए, बत्ती बनाने के लिए | रुई उठाई और कृष्ण भगवान् की नाक में ठूंस दी | जैसे ही नाक में रुई ठूंसा, कृष्ण भगवान् प्रकट हो गए | प्रकट हो कर कृष्ण भगवान् ने कहा, राजा बोल क्या चीज मांगता है | राजा हाथ जोड़ कर बोलने लगा, महाराज में डेढ़ साल तक आपकी पूजा किया आप एक भी दिन खुश नहीं हुए, आज मैं नाक में रुई ठूंस दिया तो आप ख़ुश हो गए | अगर हमको पता होता पहले से कि आप नाक में रुई ठूंसने से प्रसन्न होते हैं तो मैं पहले ही ये काम कर दिया होता | कृष्ण भगवान् बताया कि अरे मूर्ख, आज तूने फील किया कि मैं हूँ | मैं भी सूंघता हूँ | आज तैने पहली बार फील किया |

Truth ये है कि हम भगवान् की पूजा करते हैं, सबकी पूजा करते हैं, फील किसी को नहीं करते | भीतर कोई फीलिंग है ही नहीं | हो भी नहीं सकती, जब सबकी पूजा करेंगे तो फीलिंग हो ही नहीं सकती | एक चाहे, कृष्ण जी की पूजा करो, चाहे दुर्गा माता की करो, चाहे हनुमान जी की करो, चाहे राम चन्द्र जी की पूजा करो | किसी की भी पूजा करो, एक भगवान् की पूजा करो और सबको प्रणाम करो, नमस्कार करो लेकिन सबका पाठ करने की जरूरत नहीं है, सबकी पूजा करने की जरूरत नहीं है | साल भर में, जिंदगी भर में उसी एक की पूजा कीजिये |

लोग क्या करते हैं ? कपड़े की तरह भगवान् बदल लेते हैं | कुछ दिन कृष्ण जी की पूजा की, फिर लगा कि अरे सब लोग तो दुर्गा माता की पूजा करते हैं, दुर्गा माता अच्छी है, दुर्गा जी की पूजा शुरू कर दी | फिर कुछ लोग दुर्गा माता की भी छोड़ देते हैं किसी और की शुरू कर देते हैं पूजा और कोई कोई तो ऐसे होते हैं कि हिन्दू देवी देवताओं को छोड़ देते हैं और क्रिश्चिन बन जाते है, मुस्लिम बन जाते हैं | क्यों होता है ? क्योंकि faith है ही नहीं, फीलिंग है ही नहीं | Faith और फीलिंग की जगह उनके मन में भय है, डर है | डर के पूजा मत कीजिये भगवान् की, पूजा करनी है भगवान् की तो प्यार से कीजिये, भगवन की पूजा करनी है, श्रद्धा के साथ करो, भगवन की पूजा करनी है आस्था के साथ करो, भगवान् की पूजा करनी है, विश्वास के साथ करो |

अगर भगवान् से प्रेम करना है तो भगवान् से एक रिलेशन बनाना पड़ेगा | पुराने लोग गावों में एक दुसरे से बड़ा प्रेम भाव रखते थे | प्रेम भाव रखते थे तो क्या करते थे एक दुसरे से रिलेशन बनाते थे | पडोसी की माँ को माँ कहते थे | उसकी बुआ को बुआ कहते थे | उसकी बहन को अपनी बहन कहते थे | उसकी पत्नी को भाभी बोलते थे | एक रिलेशन बनाते थे | प्यार तब बनता है जब रिलेशन होता है | भगवान् की भी अगर पूजा करनी है, किसी की भी करो तो एक रिलेशन बनाना पड़ेगा आपको, तब पूजा होगी | या तो भगवान् को अपना मालिक मान लो, Employer मान लो, अपने को employee समझ लो | फिर आप सोच लो कि जो काम आप करता वो Employer है और आप उसका employee है और जो सैलरी मिलती है, वो वो दे रहा है | अब निश्चिन्त हो कर काम करो, डरने की कोई जरूरत नहीं है | अगर आप बिज़नस करते हो……… हिन्दुस्तान में आपने देखा होगा, पुराने लोग कहते थे, दुकान में जो गद्दी होती थी, उसको बोलते थे ये शंकर जी का थडा है | गद्दी को प्रणाम करते थे, गद्दी को प्रणाम नहीं होती थी वो, शंकर भगवान् को प्रणाम करते थे | वो मानते कि ये तो शंकर जी की दुकान है, हमारी नहीं है, हम तो केवल नौकरी करते हैं उसकी | फीलिंग पैदा करो अपने अन्दर | जब रिलेशन होगा तब फीलिंग पैदा होगी | या तो उसको मालिक समझ लो और अपने को नौकर समझ लो, समझिये कि आप जो कुछ करते हैं, वो उसका आर्डर है और हम कर रहे हैं |

संत कबीर दास एक हुए हैं, उन्होंने भगवान् को अपना मालिक माना और अपने को…..अपने को नौकर से भी छोटी चीज मान लिया उन्होंने | क्या मान लिया…….कुत्ता | मालिक कुत्ता पालता है, हर कुत्ते का एक मालिक होता है | उन्होंने कहा – कबीर कूता नाम का – कबीर कहते हैं, मैं तो राम का कुत्ता हूँ | “कबीर कूता राम का, मुतिया मेरा नाम” कुत्ते का नाम रख देते हैं, कोई मोती रख देता है कोई कुछ रख देता है | तो वो कहते हैं –

“कबीर कूता राम का, मुतिया मेरा नाम | गले राम की जेबड़ी, जित खेंचे तित जाऊं”

उस राम का पट्टा पड़ा हुआ है गले में, उसकी जंजीर पड़ी हुई है, वो जिधर खींचता है, उधर चला जाता हूँ | अपने आप से नहीं करता कुछ भी |

“कबीर कूता राम का, मुतिया मेरा नाम | गले राम की जेबड़ी, जित खेंचे तित जाऊं ||”

तोतो करे तो बांहूनो, दुर दुर करे तो जाऊं

अगर वो तोतो करके पास बुलाता है तो मैं पास चला जाता हूँ और अगर वो दुर दुर, go go करके भगा देता है तो मैं दूर चला जाता हूँ |

“तोतो करे तो बांहूनो, दुर दुर करे तो जाऊं, जैसे राखे तस रहे, जो देवे सो खाऊ |”

मुझे जो मिल रहा है, मैं उसी में खुश हूँ | मेरा मालिक जो खिला रहा है मैं उसी में खुश हूँ |

“हारिये न हिम्मत, बिसारिये न हरी को नाम, जाहि बिधि राखे राम, ताहि बिधि रहिये |”

लेकिन आदमी उस तरीके से रहना तो नहीं चाहता | आदमी तो अपने स्टाइल से रहना चाहता है, उसके तरीके से तो रहना ही नहीं चाहता, तो मालिक मानता ही नहीं उसको | अगर मालिक मान लें, और खुद को नौकर मान लें……तुलसीदास ने भगवान् राम को always अपना मालिक माना था | अपने को दास, दास means नौकर, servant मानते थे | भगवान राम को मालिक मानते थे | तुलसीदास जी कहते थे | “एक भरोसो, एक बल, एक आस बिस्वास” – मेरा भरोसा एक पर ही है, मेरा बल, मेरी ताकत भी उसी से है, एक आस, एक ही से मेरी सारी उम्मीदें हैं, एक बिस्वास, एक पर ही मेरा पूरा विश्वास है | हमारे भरोसे, हमारा विश्वास सब बटें हुए हैं, किसी एक पर तो है ही नहीं |  इस पर भी विश्वास, उस पर भी विश्वास, ये भी मेरा है, वो भी मेरा है | सब मेरा है, पता नहीं कब किसकी जरूरत पड़ जाए, काम के लिए सब को अपना बनाना है | अरे ! एक भी काम में नहीं आएगा | काम में तब आएगा, जब किसी एक को अपना बनायेंगे | किसी एक के हो जाओ तो वो तुम्हारा हो जायेगा | तुम किसी के नहीं हो सकते, तो कोई तुम्हारा कैसे हो जायेगा  ? आदमी इस छोटी सी बात को नहीं जानता |

आप अगर भगवान् को अपना बनाना चाहते हैं तो भगवान् के बन जाइये | आप जिसको चाहते कि वो आपको प्रेम करे तो आप उसको प्रेम कीजिये | आप चाहते हैं कि कोई आपकी इज्जत करे तो आप उसकी इज्जत कीजिये | सीधा सा इस दुनिया का rule है, लेकिन आदमी दुनिया के इस सीधे से तरीके को फॉलो नहीं करना चाहता | भगवान् के साथ तो कम से कम नहीं करना चाहता | इसीलिए मैंने कल कहा था, मैं मंदिरों में जाता हूँ, मुझे एक भी आस्तिक आदमी नहीं मिलता, सब नास्तिक मिलते हैं | आस्था कहीं है नहीं, विश्वास कही है ही नहीं |

आस्तिक का meaning क्या है ? संस्कृत में “अस्ति” शब्द है | इस अस्ति का मीनिंग होता है “है” | अंग्रेजी में इसको कहते हैं “is”. He is, वह है | संस्कृत में कहेंगे “सः अस्ति”, वह है | अंग्रेजी में कहेंगे, He is, वह है | तो is का जो मीनिंग है,वो अस्ति का मीनिंग है संस्कृत में | “अस्ति” से बनता है आस्तिक | जो ये feel करता है कि वो है (भगवान्), वो आस्तिक है | जो feel ही नहीं कर रहा भीतर कुछ भी, कि वो है, उससे कोई रिलेशन भी नहीं रखता | रिलेशन तो तब रखोगे जब फील करोगे कि वो है | आप रिलेशन क्यों  नहीं बना रहे उससे ? आप क्यों नहीं उसको प्रेम कर रहे है ? क्यों नहीं उसमें श्रद्धा करते ? क्यों नहीं उसमें विश्वास करते हैं ? इसलिए क्योंकि आप मानते ही नहीं कि वो है | अगर आप माने कि वो है, तब आप उस से कोई रिलेशन बना पायेंगे | इसलिए भगवान् से कोई रिलेशन बनाए, चाहें उसको मालिक मान लें, चाहे अपने को उसका pet मान लें |

एक और रिलेशन हो सकता है, भगवान् से, भगवान् को अपना बाप मान लें | भगवान् को अपनी माँ समझ लें | कोई रिलेशन बनाइये | कबीर दास ने एक दूसरी जगह लिखा “बाप राम, सुन बिनती मोरी” – हे राम, तू मेरा बाप है | बाप नहीं मानना चाहो तो दुर्गा जी को माता मान लो | लेकिन एक को | अब वहां बीमारी क्या है कि वहां तो नौ देवी हैं | नौ देवी पूजनी हैं हमको | और नौ देवी से ही काम नहीं चलता है | हिन्दुस्तान जायेंगे तो वहां वैष्णो देवी की भी पूजा करेंगे जाकर, नगरकोट वाली की भी पूजा करेंगे और चिंतपूर्णी में भी जायेंगे और ज्वाला जी में भी जायेंगे और विन्ध्याचल वाली देवी पर भी जायेंगे | सबरी देवियों के पीछे भाग रहे हैं | अरे एक को पकड़ो भाई, एक ही तो माँ होगी, कि सब माँ हो जाएँगी तुम्हारी ? एक रिलेशन बनाओ, तो या तो उसको father, mother मान लो,  हमारे यहाँ कहते हैं, पितृ, पितृरूपा भक्ति |

भगवान् की भक्ति चार तरीके की होती हैं | कोई सा भी रिलेशन मना लो, उसी तरह की भक्ति हो जाएगी | एक होती है “सेव्य”, सेवक सम्बन्ध रूपा भक्ति | भगवान् को मालिक, अपने को नौकर बनाओ | दूसरी होती है पितृरूपा भक्ति | भगवान् को अपना father मान लो, या mother मान लो | चाहो तो उसको अपना बेटा मान लो, जैसे यशोदा माता ने मान लिया था कृष्ण को अपना बेटा | लेकिन यशोदा का बेटा था नहीं वो | लेकिन उसने मान लिया कि मेरा बेटा है | ये भक्ति है | एक रिलेशन बनता है | जब तक रिलेशन नहीं बनाया आपने उसके साथ, भक्ति नहीं हो सकती है | अगर आप उसको अपना पिता मानते हैं तो जो बेटे की ड्यूटी है, father के लिए, वो करो | आप घर से जाते, तो बता के जाइए, कि हे भगवान् मैं जा रहा हूँ | जैसे बाप को बता के जाते हैं, कि मैं जा रहा हूँ | लौट के आओ तो बताओ कि मैं आ गया हूँ | जैसे बाप का फिकर करते हैं, कि बहुत गर्मी पड़ रही है, एक पंखा होना चाहिए ऐसे फिकर कीजिये भगवान् की, ऐसे ही भगवान् के ऊपर भी एक लगाओ | हिंदुस्तान में देखो, मंदिरों में सब में पंखा लगी होई भगवान् के ऊपर, सबमें A.C  लगा रहता है | क्योकि वो feel करते हैं कि है | हम feel ही नहीं कर रहे है कि वो है | हम सोच ही नहीं रहे हैं कि कुछ है | भगवान् कृष्ण क्यों खुश हुए राजा के नाक में रुई ठूसने से ? इसलिए कि उसने पहली बार feel किया कि वो है | है तो वो सूंघता भी है, है तो वो खाता भी है, है तो उसे ठंडा भी लगती है, है तो उसे गर्मी भी लगती है, फिर तो सारी बातें हैं |

जैसे बाप के लिए करते हैं, वैसे ही उसके लिए भी करो | तीन तरह के बेटे होते हैं, एक वो बेटे होते हैं जो माई बाप की तकलीफ को अपने आप समझ जाते हैं और समझ कर के अपने आप उनका काम करते हैं | अपने से सोचते हैं कि बहुत काम किया होगा मेरे father ने, बहुत थक गया होगा,चलो पैर दबा देते हैं | पैर दबाने लगते हैं, अपने से सोचते हैं | एक दुसरे किस्म के होते हैं, जो सेकंड ग्रेड के होते हैं, जो कहने से पैर दबाते हैं | जब माई बाप कहते हैं तब कहने से पैर दबाते हैं और फिर थोड़ी देर बाद पूछते हैं, बस हो गया ? ये सेकंड ग्रेड के होते हैं, फर्स्ट ग्रेड के वो होते हैं, जो अपने से भगवान् के बारे में सोच रहे हैं | सेकंड ग्रेड के वो होते हैं,  जो पंडितों के कहने से करते हैं, यहाँ जल चढ़ाओ, यहाँ पान चढ़ाओ, यहाँ फूल चढाओ, यहाँ भोग चढ़ाओ, यहाँ प्रसाद चढाओ, कहने से करते हैं, वो सेकंड ग्रेड के होते हैं | थर्ड ग्रेड के तो वो होते हैं, जो कहने से भी नहीं करते | ऐसे भी लोग होते हैं | भक्त बनना हैं, तो ए ग्रेड के बनो | ए के नहीं बन सकते, बी ग्रेड के बन जाओ, बनो तो सही, कोई रिलेशन तो बनाओ उस से |

एक तीसरा रिलेशन और होता है, वो बड़ा ग्रेट रिलेशन होता है | That is Friendship. तीसरी भक्ति है हमारे यहाँ, सांख्य भक्ति | मित्र सम्बन्ध रूपा भक्ति, संस्कृत में कहते हैं | हिंदी में उसे कहते हैं, साख्य | भगवान् से दोस्ती कर लो, फ्रेंडशिप कर लो | अगर माई बाप्पा मानो तो सब बदमाशी नहीं कर सको जैसे दोस्तों के सामने कर सको | अगर उसको मालिक मानो और खुद को नौकर मानो तो चोरी चकारी नहीं कर सको | झूठ नहीं बोल सको मालिक के आगे | Law follow करना पड़ेगा |  फ्रेंड मानो तो फ्रेंड से तो कैसा भी चलता है | आप दारू बीअर भी पी लिया, तो भी चली | तो फ्रेंड के साथ तो चलता है | तो फ्रेंड बनाओ उसे |

एक हमारे यहाँ भगवान् कृष्ण के एक फ्रेंड हुए, श्रीदामा  | नाम सुना होगा | भगवान् के बड़े घनिष्ठ मित्र थे | दो मित्र थे भगवान्  कृष्ण के बचपन में एक श्रीदामा और दुसरे सुदामा | श्रीदामा अलग थे | सुदामा तो वो थे जो संदीपन गुरु के आश्रम में पढ़े थे भगवान् कृष्ण के साथ और श्रीदामा वो था जो बचपन में भगवान् कृष्ण के साथ खेला था | वो ब्राह्मण था, तो श्रीदामा की बात कर रहा हूँ | मित्र भगवान् का, जानता था कि ये भगवान् हैं | यशोदा भी जानती थी कि भगवान् हैं, उसके मुंह में तीनो लोक देख चुकी थी यशोदा, फिर भी उसको बेटा मानती थी | वो श्रीदामा  भी जानता था कि ये भगवान् हैं, ब्राहमण का बेटा था, ग्यानी था फिर भी फ्रेंडशिप करता था | एक दिन खेल रहे थे भगवान् कृष्ण और श्रीदामा | इंडिया में एक गेम होता है, गेंदतड़ी, गेंद से खेला जाता है | पत्थर एक के ऊपर एक रखते थे और गेंद से टाक कर के मार के उसे गिराते | दूसरी पार्टी का जो होगा, वो उस गेंद को पकड़ के गेंद फेंकने वालेको मारता है | फिर चांस दूसरे को मिलता है | अगर उसकी गेंद आपको टच कर गयी तो आप हार गए और अगर गेंद टच नहीं कर पायी तो वो हारे | हारने पर दांव देना पड़ता था, अपनी पीठ पर बैठा कर कुछ दूर तक ले जाना पड़ता था हारने वाले को जीतने वाले को | श्रीदामा, कृष्ण भगवान् खेल रहे थे, गेम में कृष्ण भगवान् हार गए, श्रीदामा जीत गया | पहले श्रीदामा हार गया था तो श्रीदामा कृष्ण भगवान् को पीठ पर बैठा कर खूब दूर तक दौड़ा | दूसरी बार में कृष्ण भगवान् श्रीदामा से हार गए | अब मैं आपकी पीठ पर बैठूँगा और आप मुझे लेकर दौड़ो | कृष्ण भगवान् बोले कि नहीं यार, अब नहीं खेलते | खेल खलास, ख़त्म | Game is over. चांस नहीं देना मांगता भगवान् कृष्ण | श्रीदामा कटई पकड़ लिया भगवान् कृष्ण का,  बताया “खेलन में को का नहीं सैंयाँ” | खेलने में कोई किसी का स्वामी नहीं है, कोई किसी का भगवन नहीं है | “खेलन में को का नहीं सैंयाँ” सूरदास ने लिखा है “हरि हारे, जीते श्रीदामा” भगवान् हार गए और श्रीदामा जीत गए हैं |

“हरि हारे, जीते श्रीदामा, बरबस ही कति  करते सैयां”

बिना वजह गुस्सा कर रहे हैं कि हम नहीं खेलते हैं | श्रीदामा कहने लगा,

“जांत पांत तुम ते घट नाही”

अगर तुम सोचते हो कि मैं जात में तुमसे छोटा हूँ, तो नहीं हूँ…मैं ब्राह्मण हूँ और तुम अहीर हो | तुम से ऊंची जात का हूँ मैं, जात में तुमसे छोटा नहीं हूँ |

“जांत पांत तुम ते घट नाही, नाही बसत तुम्हारी छैयां”

तुम्हारी छाया में नहीं बसता हूँ, तुम्हारा दिया हुआ नहीं खाता हूँ | कितनी बड़ी बात कह रहा है भगवान् से, भक्त | फ्रेंडशिप है, चलता है |

“जांत पांत तुम ते घट नाही, नाही बसत तुम्हारी छैयां”

अति अधिकार जतावत यातें, अधिक तुम्हारे हैं कछु गैया “

श्रीदामा कहते हैं कि इसलिए रुआब दिखा रहे हो क्योंकि तुम्हारे घर में तुम्हारे कुछ गाय ज्यादा हैं, पैसे वालों के यहाँ पैदा हुए हो, इसलिए रुआब दिखा रहे हो, मैं नहीं मानने वाला | ये है मित्र, मित्र तो भगवान् को चेलेंज कर सकते हैं | दोस्त दोस्त को चेलेंज कर सकता है, ये भक्ति और भी ग्रेट होती है,  बड़ी होती है क्योंकि दो दोस्तों के बीच में बहुत कम फर्क होता है | माता-पिता से तो बेटे का फर्क रहता है जरा सा, बहुत सी चीज बेटे को छिपानी पड़ती हैं,माँ बाप से  | बहुत सी चीज नौकर को मालिक से छिपानी पड़ती है | वहां उतने क्लोज नहीं होते  उन रिलेशन में जितने क्लोज इस फ्रेंडशिप वाले रिलेशन में होते हैं | इसलिए वेदों में हमारे यहाँ शास्त्रों में बतलाया गया, मित्र  सम्बन्ध रूपा भक्ति, हिंदी में इसे साख्य भक्ति, सखा भाव वाली भक्ति, मित्र भाव वाली भक्ति कहा जाता है | एक रिलेशन बनाओ भगवान् के साथ, जब रिलेशन बनता है तो एक चेलेंज बनता है |

सूरदास, स्वामी सूरदास अंधे थे | भगवान् के बहुत भारी भक्त थे |   आँखों से अंधे थे, दिखाई नहीं देता था | एक बार ऐसा हुआ, सूरदास रास्ते में जा रहे थे | कुआँ था, रास्ते में… कुआँ जानो, water well. कुआँ था, सूरदास जी उसमें गिर गए | अंधे थे, कुछ दीखता नहीं था, गिर गए | कुँए में गिर गए, भगवान् के बड़े भारी भक्त थे | जो भगवान् का भक्त होता है, भगवान् दौड़ कर आता है उसके लिए | गजराज को बचाने के लिए, भगवान् गरुण पर बैठ कर दौड़ कर आया, गजराज मोक्ष किया भगवान् ने | भगवान् दौड़ कर आया और सूरदास को खींच कर बाहर खड़ा कर दिया | सूरदास जब बाहर खड़ा हो गया तो भगवान् जाने लगा | जैसे ही भगवान् जाने लगा, सूरदास जी ने उनका हाथ पकड़ लिया | कहने लगा –

बांह छुडाये जात हो, निबल समझ के मोहे |

मुझ से बांह छुड़ा कर भाग रहे हो, इसलिए कि मैं कमजोर हूँ, तुम ताकतवर हो |

बांह छुडाये जात हो, निबल समझ के मोहे | ह्रदय ते  जब जाओगे, सबल कहुंगो तोहे |

तुझको ताकतवर तो मैं तब समझूंगा, तू मुझे कमजोर समझ कर भाग रहा है | तुझको ताकतवर तब समझूंगा जब मेरे दिल में से निकल कर चला जायेगा | कितना बड़ा चेलेंज है, कि तुझमें दम हो तो मेरे दिल में से निकल जा | कितनी भावना है | आदमी के दिल में भगवान् घुसता  ही नहीं है आज कल | वहां वो चेलेंज कर रहा है कि अगर तुझमें ताकत  हो तो दिल में से निकल जा |

दिल में रहती है तस्वीर-ए-यार, जब जी चाहा, नजरें झुकाई और देख ली |

यार माने दोस्त | अगर दिल में भगवान् को बैठा रखा है तो उस से भगवान् कहाँ भाग कर जायेगा | ये है फ्रेंडशिप, मित्र सम्बन्ध रूपा भक्ति | ये है साख्य भक्ति | भगवान् से रिलेशन बनाओ, कोई रिलेशन बनाओ |

एक और रिलेशन है, इस से भी ग्रेट रिलेशन है | फ्रेंड्स में भी थोड़ी सी दूरी रहती है | थोडा सा फर्क रहता है, बहुत क्लोज नहीं रहते | एक और रिलेशन है जिसमें कोई डिफरेंस ही नहीं रहता, एक हो जाते हैं दोनों | भगवान् को अपना पति मान लो, या भगवान् को अपनी पत्नी मान लो | जैसे मीराबाई ने मान लिया |

मेरो तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई |

कोई अब है ही नहीं, सिर्फ गिरधर गोपाल है मेरा | पर रिलेशन बनाना पड़ेगा, love तभी होगा, प्यार तभी होगा, भगवान् की भक्ति तभी होगी, प्रेम तभी होगा जब एक कोई रिलेशन बनायेंगे उसके साथ और कुछ भी नहीं कर सकते, इनमें से कोई भी रिलेशन नहीं बना सकते तो फिर रावण ने जो रिलेशन बनाया था वो बना लो | रावण ने दुश्मनी का रिलेशन बनाया था भगवान् से | वो भी हर वक्त भगवान् के बारे में सोचता रहता था | कहीं आ नहीं जाये, कहीं मार नहीं दे मुझको | जाने क्या क्या इंतजाम करता था, भक्त का काम है भगवान् के बारे में सोचना | वो भी सोच रहा था, भगवान् के बारे में, लेकिन रिलेशन दुश्मनी का था | तो भगवान को आना पड़ा | पापी तो दुनिया में बहुत से हैं, भगवान् नहीं आता मारने किसी को | जो रियल में रिलेशन बनता है उसी को मारने आता है | रावण को मारने के लिए भगवान् को धरती पर आना पड़ा | कंस को मारने के लिए भगवान् को धरती पर आना पड़ा | रिलेशन बनाओ, चलो यही करना है तो दुश्मनी बनाओ उस से | दोस्ती नहीं कर सकते | कुछ रिलेशन बनाओ भगवान् से | क्योंकि भगवान् की प्रतिज्ञा है, गीता में भगवान् ने लिखा है, अर्जुन से कहा है गीता में भगवान् कृष्ण ने  –

यो यथावान प्रपद्यन्ते ताम्स्तैव भजाम्यहम |

हे अर्जुन ! जो मुझे जिस तरह से भजता है, जो जैसी भावना रखता है, मैं भी उसके लिए वोही भावना रखता हूँ | ये है भगवान् की प्रतिज्ञा | एक रिलेशन बनाओ | उस से प्रेम करो, उस से डरो नहीं | आज कल लोग डर की वजह से पूजा करते हैं, इसलिए सबकी पूजा करते हैं | एक ही भगवान की पूजा करो | पूरे मन से करो, पूरे डेडीकेट होकर करो, पूरी तरह समर्पित होकर के करो | एक रिलेशन बनाओ, बिना रिलेशन के भक्ति नहीं हो सकती | प्रेम नहीं हो सकता, बिना प्रेम के भक्ति नहीं हो सकती | इसलिए रिलेशन बनाना बहुत जरूरी है भगवान् से | तीन चीज हैं | मैं तीन दिन तक बोलता रहा, अब उसको conclude करता हूँ | तीन बातें मैंने कही हैं, तीन दिनों में |

पहली चीज कही – illusion, delusion, assumption, presumption इनको ख़त्म करो | दूसरी चीज मैंने कही – अपने आप को वाच करो | अपने भीतर देखो झाँक कर के कि आप कौन चीज करते हैं, क्या सोचते हैं, क्या महसूस करते हैं और क्या आपके भीतर desires हैं और आप जो काम कर रहे हैं, really उनके according कर रहे हैं या किसी दुसरे के कहने की वजह से करते हैं | बहुत से काम हम करते हैं अपनी जिंदगी में, ऐसे करते हैं जो दूसरों की वजह से करते हैं, अपनी वजह से नहीं करते |

एक बार भगवान् शंकर और पार्वती जी अपने बैल पर, भगवान् शंकर की सवारी है बैल, नंदी बैल | भगवान् शंकर और पार्वती जी अपने बैल पर बैठ कर कहीं जा रहे थे, रास्ते में कुछ लोगों ने उन्हें देखा | आपस में वो बात करने लगे कि देखो कितने दुष्ट हैं, एक बेचारा बैल और उस पर दो दो लदे हुए हैं | भगवान् शंकर ने सुन लिया | पार्वती से कहा कि भाई बात तो ये ठीक कह रहे हैं, हम इस बैल के साथ, बेचारे के साथ अत्याचार कर रहे हैं, दो दो बैठे हैं | मैं ऐसा करता हूँ कि मैं पैदल चलता हूँ और तुम बैठी रहो | शंकर भगवान् बैल पर से उतर गए, पार्वती जी बैठी रही | आगे बढे, थोडा और आगे गए तो वहां कुछ और लोग मिल गए | वो आपस में बात करने लगे लोग, कि देखो पति अकेला पैदल चल रहा है और ये पत्नी, पतिव्रता बैठी हुई है और पति पैदल जा रहा है बताओ कैसी पतिव्रता है खुद सवारी पर बैठ कर चल रही है | पार्वती जी ने सुन लिया | वो भी उतर गयी बैल पर से और उतर कर भगवान् शंकर से बोली आप बैठ जाओ, बैल पर मैं उतर जाती हूँ, लोग सही कह रहे हैं एक पतिव्रता स्त्री को पति के सामने सवारी पर नहीं बैठना चाहिए | भगवान् शंकर बैल पर बैठ गए और पार्वती जी पैदल चलने लगी | फिर थोडा आगे बढ़ने लगे, फिर आगे कुछ लोग मिल गए | आपस में बात करने लगे, कहने लगे कि कितना हट्टा कट्टा लट्ठा सा, इतना मजबूत तो बैठा है बैल पर और इतनी बिचारी, कोमल औरत पैदल चल रही है | इसको शर्म नहीं आ रही है | भगवान् शंकर ने सुना तो उतर पड़े | ये decide किया दोनों ने कि कोई नहीं बैठेगा, पैदल चलेंगे | थोड़ी दूर और गए आगे पैदल फिर कुछ लोग मिल गए | कहने लगे क्या पागल हैं, बेवकूफ हैं | सवारी खाली चल रही है और खुद पैदल चल रहे हैं, use नहीं कर रहे सवारी को | जो लोग ये सोचते हैं कि लोग क्या कहेंगे, जो लोग ये सोचते हैं कि सब लोग ऐसा करते हैं हम भी ऐसा ही करेंगे, उनसे बड़ा पागल कोई नहीं है, उनको कुछ नहीं मिलने वाला |

अपने एक एक काम को वाच कीजिये कि आप जो really में कर रहे है क्या वो अपने सोचने से कर रहे हैं या दूसरों की नक़ल कर रहे हैं या दूसरों के कहने से कर रहे हैं | जब अपने को वाच करेंगे तो आपको पता लगेगा कि ज्यादातर काम आप दूसरों की वजह से कर रहे हैं | सब बच्चे पैदा कर रहे हैं, आप भी कर रहे हैं, सब पैसा कमा रहे हैं आप भी कमा रहे हैं, सब जॉब कर रहे हैं आप भी कर रहे हैं | अपने से कभी सोचा है कि हम क्या कर रहे हैं ? कभी सोचा है हम क्यों जिन्दा हैं ? किसलिए कर रहे हैं ? ये नहीं सोचते | सोचो कि हमको वही काम करना है जो हम अपने दिमाग से सोचेंगे, दूसरों के दिमाग से नहीं | दो बातें मैंने कल परसों कहीं, परसों मैंने कहा कि illusion, delusion, assumption, presumption, इनको अपने भीतर से निकालो यही माया है | दूसरी चीज मैंने कहा, Watch  yourself. अपने आप को वाच करो, अपने आप को पढो, अपने आप को देखो, अपने भीतर जाओ, अपने आप में झांको | तीसरी चीज मैंने कही, भगवान् पर भरोसा करो, भगवान् की भक्ति करो |  तीन बातें कही मैंने, कुछ अलग नहीं कहा मैंने |

हमारे यहाँ एक ऋषि पतंजलि हुए हैं, अष्टांग योग जिन्होंने पुस्तक लिखी है योग के ऊपर | जितने भी आज योग योग चिल्लाते फिर रहे हैं, सबको उन्हीने ने बताया, सबसे पहले योग की पुस्तक भारत वर्ष में वोही लिखी गयी थी, आज से बाईस सौ साल पहले, पतंजलि मुनि की, उसमें उन्होंने एक सूत्र लिखा है |

तपः स्वाध्यायेश्वर प्रणधानानी क्रिया योगः |

इस सूत्र का मीनिंग है, तप करना, स्वाध्याय करना और ईश्वर प्रणधान, ईश्वर के प्रति समर्प्रित हो जाना, ये तीन बात जिसमें होगी, वो क्रिया योगी होगा | इसी को क्रिया योग कहते हैं, क्रिया योग कोई अलग चीज नहीं है | ये तीन चीजें जहाँ मिलेंगी वहां क्रिया योग होगा | तप क्या है ? तप का मीनिंग है, ये नहीं है तप का मीनिंग की अपने आगे आग लगा कर बैठ जाओ, हवन कुण्ड सामने रख लो और तपते रहो शरीर को, जलाते रहो, ये तप नहीं है | तप का मीनिंग है, मन को तपाओ  | मन कब तपता है ? जब आपके भीतर के illusions टूटते हैं, जब भ्रम टूटते हैं, तब मन तपता है, जब मन को तकलीफ होती है, तब मन जलता है | आप जिस वाइफ को समझो कि ये तो बहुत ख़ास है, ये तो हमें कभी छोड़ कर नहीं जा सके और जब वो छोड़ कर जाए, तब मन तपता है, तब मन जलता है | जिन लडकन पर आप बड़ा भारी भरोसा करो, जब वो छोड़ कर जाएँ तब मन तपता है, तब मन जलता है | जिस दंपत्ति को आप समझते हैं कि ये हमेशा हमारी रहेगी जब वो चली जाती है तब मन तपता है, तब मन जलता है | मैंने किस्सा सुनाया कि जब पैसा चला गया तो हम कितना परेशान रहा, यही तप है तो उस तप को अपने से पहले से करो | तप दो तरह से होता है एक तो तप मजबूरी में होता है | मजबूरी में जब तप होता है उसे बोलते हैं Stress, अंग्रेजी में और जो ख़ुशी से तप किया जाता है, यानी जान कर, सोच समझ कर अपने भ्रमों को जो तोड़ता है, Analyse कर के अपने भ्रमो को, ढूंढ ढूंढ करके अपने भ्रमो को दूर करता है, destroy करता है, वो तप करता है | तप में और स्ट्रेस में बस इतना सा फर्क है | स्ट्रेस मजबूरी में होता है, तप ख़ुशी से किया जाता है, जान बूझकर किया जाता है | स्ट्रेस बिना जाने हमारे ऊपर आकर बैठ जाता है | वो बिना जाने हमारे ऊपर आ कर बैठ जाए उस से अच्छा है कि आप उस से पहले से ही उसका इंतजाम करो, अपनी ख़ुशी से, पहले से अपने एक एक भरम को तोड़ो | मैंने बताया कौन चीज जरूरी है, कौन चीज जरूरी नहीं है | सोचो, कौन काम करना है, कौन काम नहीं करना है सोचो | हर काम सोच के करो | जब हर चीज को सोचेंगे तब तप होगा | तब आपको बहुत सा मन मारना पड़ेगा | मन मरेगा तो ये तपेगा और जब कोई चीज तपती है तो वो शुद्ध होती है | सोना कैसे शुद्ध होता है ? आग में तपाया जाता है उसको | तब शुद्ध होता है, ऐसे ही इस मन को तपाओ | ये मन कहता है कि खटिया पर सोना है तो उस दिन खटिया पर नहीं सोना है, जमीन पर सो जाओ | ये मन कहता है कि आज डालो की तरकारी खानी है तो उस दिन डालो की तरकारी मत खाओ उस दिन | उस दिन बीन खाओ | ये मन कहता है कि आज ये काम करना है, उस दिन वही काम मत कीजिये | तपाइए इसको | अपने भीतर के illusion, delusion को पहचानिए यानि watch yourself. इसी को पतंजलि मुनि ने कहा, स्वाध्याय, स्वाध्याय माने self-study. यानी अपने आपको पढो, अपने आपको जानने की कोशिश करो | अपने भीतर कौन सी चीज चल रही हैं उनको देखो | देखो कि क्यों आपको सुख feel हो रहा है क्यों आपको दुःख feel हो रहा है | क्यों आपके भीतर कोई desire create हो रही है, क्यों आपके भीतर कोई thinking create हो रही है | इन सब चीजों को सोचो, ये है स्वाध्याय | मन को तपाओ ये है तप |

तीसरी चीज ईश्वर प्रणिधान, भगवान् के आगे surrender, surrender तब होगा जब उसपर faith होगा, जब आप feel करेंगे कि वो है | जब आप मानते ही नहीं की वो है, तो surrender किसे करेंगे ? उस पर faith कीजिये, उस से रिलेशन बनाइये, उस से प्रेम कीजिये, उस से love कीजिये | That should be one. God should be one. बहुत से भगवान् नहीं है | भगवानों में झगडा नहीं होता है | झगडा बेवकूफ लोग करते हैं कि मेरा भगवान् बड़ा है कि तेरा भगवान् बड़ा है | कोई कह रहा है, हनुमान जी बड़े हैं उनकी पूजा करनी चाहिए | कोई कह रहा है कि फलाने की पूजा करो, कोई कह रहा है कि इसकी पूजा करो, कोई कह रहा है उसकी पूजा करो | पागल लोग लड़े जा रहे हैं | हिन्दू मुसलमान लडे जा रहे हैं | हिन्दू कह रहे हैं मेरा भगवान् बड़ा, मुसलमान कह रहे हैं मेरा भगवान् बड़ा | क्रिश्चिन कह रहे हैं, मेरा भगवान् बड़ा, यहूदी कह रहे हैं मेरा भगवान् बड़ा | अरे ! भगवान् तो एक ही है, भगवान् दो नहीं है | हमारा वेद कहता है –

एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति |

ईश्वर एक है, दो नहीं है | एक को पकड़ो किसी को, किसी दूसरे को ये नहीं करो कि उसका respect नहीं करो | हमारा father हमारा है, father father ही रहेगा | काका, दादा, काका, दादा रहेंगे, वो father नहीं बन सकते | इसलिए एक भगवान् पर भरोसा करके उस से रिलेशन बना कर के, उसकी पूजा कीजिये | feel कीजिये कि वो है | उसको जिस जिस चीज की जरूरत है वो सब कीजिये | क्यों भगवान् को स्नान कराया जाता है ? क्योंकि हम मानते हैं कि वो है | जैसे हमें नहाने की जरूरत है उसको भी स्नान की जरूरत है | क्यों भगवान् को आचमन कराया जाता है ? हमें भी तो प्यास लगती है, हम भी तो पानी पीते हैं | उसको भी आचमन दिया जाता है | क्यों उसको कपड़े पहनाये जाते हैं ? क्योंकि हमें भी कपड़े की जरूरत पड़ती है | जो जो चीज आपको जरूरत पड़ती है वो वो चीज पहले उसको दीजिये | क्यों ? क्योंकि वो सब चीजें उसने आपको दी हैं | उसने हवा दी है, सांस लेने के लिए, उसने पानी दिया है पीने के लिए | उसने भोजन दिया है खाने के लिए | कोई आदमी ये कहे कि भगवान् नहीं खिलाता है, ये गलतफहमी है | भगवान् ही सब कुछ कर रहा है | उसने खाने के लिए मुह दिया है | उठा कर गस्सा मुंह तक ले जाने के लिए हाथ दिए हैं | भोजन को इकठ्ठा करने के लिए, उसको लेने के लिए जाने के लिए पैर दिए हैं उसने | उसने सब कुछ तो हमको दिया है | उसने इस धरती पर भोजन भी बनाया है, कपड़े भी बनाये हैं, पानी भी बनाया है, उसने सब कुछ हमको दिया है क्योंकि वो देवता है, देवता का मीनिंग है, giver, जो देता है | जो देता है, उसके लिए हमको thankful होना चाहिए | thankful का meaning क्या है ? कि उसने हमारे लिए इतना किया तो क्या हम उसके लिए इतना भी नहीं कर सकते कि थोडा सा भोजन उसके लिए पहले निकाल दें, हम बाद में खा लें, क्या इतना भी नहीं कर सकते हम ? क्या इतना भी नहीं कर सकते हम कि घर से निकल कर हम अगर जा रहे हैं तो उसको कह कर जाएँ कि हम जा रहे हैं भाई ? हम अपने घमंड में इतने भरे हैं कि हम सोचते हैं कि एक बार नाम ले लिया, खलास ! नहीं, उस से काम नहीं चलेगा |

एक बात लास्ट में और बताना चाहता हूँ | बहुत से लोग भगवान् का भजन करते हैं, मन्त्र जाप करते हैं | कोई भी मन्त्र जाप करें, एक ही करें, पहले तो ये याद रखें | बहुत से मन्त्रों का जाप नहीं करें | किसी भी एक मन्त्र का जाप करें | minimum half an hour का जाप होना चाहिए | अगर half an hour से कम जाप करेंगे तो उस जाप का कोई फायदा नहीं होगा | क्यों ? आदमी के mind को एक जगह से हट कर दूसरी जगह लगने में टाइम लगता है | ऐसा नहीं है कि आपने हुकुम किया और मन हट के किसी दूसरी जगह पर लग जाय, नहीं लगता | minimum half an hour जब आप जाप करेंगे तब मन एक आध सेकंड के लिए लगेगा | एक आध सेकंड के लिए half an hour में | क्योंकि मन को एक जगह से हट कर दूसरी जगह जाने में half an hour लगता है | मन आपका है, कहीं भाग के जा नहीं सकता उसको आना पड़ेगा अगर आप लग के बैठे रहेंगे आधा घंटा तो | इसलिए minimum आधा घंटा कीजिये | चाहे मोर्निंग में कीजिये चाहे इवनिंग में कीजिये | चाहे नाईट में कीजिये चाहे डे में कीजिये | सब टाइम भगवान् के हैं, कोई ये सोचे कि सुबह ही भगवान् खुश होगा, शाम को नहीं होगा, ऐसा नहीं है | सब समय भगवान् का है बनाया हुआ | रात भी भगवान् की है दिन भी भगवान् का है, सुबह भी भगवान् की है शाम भी भगवान् की है | जब आपके मन में फीलिंग हो, जब आपके पास में समय हो, कम से कम आधा घंटा उसको दीजिये | surrender करने का मीनिंग तो ये है कि पूरा लाइफ उसको surrender कर दें | लेकिन अगर पूरा लाइफ को surrender नहीं कर सकते तो कम से कम आधा घंटा तो surrender कर दीजिये, इस इतनी लम्बी चौड़ी लाइफ में से | सैकड़ों, पचासियों साल की ये लाइफ है, उसमें से अगर आधा घंटा everyday हम surrender कर रहे हैं तो क्या surrender कर रहे हैं ? अरे चौबीस घंटे होते हैं, साढ़े तेईस घंटे अपने लिए रख लो भाई, आधा घंटा तो दे दो उसको, कुछ तो दो उसको | उसने सब कुछ दिया है, उसके लिए कुछ तो करो | ये है ईश्वर प्रणिधान |

तपः स्वाध्यायेश्वर प्रणधानानी क्रिया योगः |

तप, स्वाध्याय, और ईश्वर का प्रणिधान ये तीनो चीज करने से क्रिया योग होता है | जो योगी है उसको सब चीज अपने आप मिलती है उसको कुछ नहीं करना पड़ता | तब आप थोडा effort करेंगे, इतना gain करेंगे | इससे ज्यादा करने की आपको कोई जरूरत नहीं है, आपको कोई साधु संत नहीं बनना है, कोई महात्मा नहीं बनना है, सन्यासी नहीं बनना है, घर छोड़ कर नहीं जाना है | एक सद्गृहस्थ रहते हुए बस इतना सा करना है | You should be aware. आपके भीतर क्या चल रहा है, भीतर क्या हो रहा है, उसके लिए aware रहें | आपको पता होना चाहिए कि आप क्या सोच रहे हैं | आपको पता होना चाहिए कि कोई काम आप कर रहे हैं तो क्यों कर रहे हैं | बस इतना aware रहने की जरूरत है केवल और कुछ नहीं करना है, और कोई efforts नहीं करने हैं आपको, कोई आपको बंद करने में सांस रोकने की जरूरत नहीं है | कुछ नहीं करना है आपको, सिर्फ इतना कीजिये | दूसरा ये है कि कभी कभी मन के खिलाफ काम करके भी देखिये | मन जो चाहता है, कभी ऐसा भी कीजिये कि जो मन चाहता है उसे मत कीजिये एक दिन | ये तप है और तीसरी चीज, उस पर भरोसा कीजिये, उस से रिलेशन बनाइये और ये तीन काम आप आराम से अपने डेली routine काम करते हुए कर सकते हैं | कोई कडा काम नहीं है | सोते वक्त १५ मिनट आप सोचिये, आपने दिन भर में क्या किया है और क्यों किया है ? आधा घंटा भगवान् को दे दीजिये, उसका जाप कर लीजिये | और जब कहीं आयें जाएँ उसको बता कर जाएँ, अगर खाना खाएं तो उसको खिला कर खा लें | आप कपड़े पहने तो पहले उसको कपड़े पहना लें, आप नहाए तो पहले उसको नहला दें | सब काम उसका करें | इसमें बहुत टाइम नहीं लगता, पांच सात मिनट में भगवान् का सब काम हो जाता है | वो कर के आधा घंटा जब सुविधा हो तब जाप कर लें | जो आदमी इस तरह से करेगा, उसके ऊपर कभी संकट नहीं आएगा | वो आदमी हमेशा सुखी रहेगा | उसको कोई प्रॉब्लम नहीं होगी, उसके सारे काम बनते चले जायेंगे | Effluence, जिसके पीछे भाग रहे हैं लोग, वो इसी तरह से आ जाएगी |

मैं ये नहीं कहता कि आप अपना काम धाम छोड़ दीजिये, सन्यासी बन जाइए, मैं नहीं कहता कि आप इच्छाएं छोड़ दीजिये, मैं नहीं कहता कि आप भोजन छोड़ दीजिये | मैं नहीं कहता हूँ कि आप धन संपत्ति का त्याग कर दीजिये | मैं तो कहता हूँ, सब चीज अपने साथ रखिये, लेकिन उसके साथ साथ इसको भी अपने साथ रखिये | ये तीन चीज रखेंगे, कल्याण ही कल्याण है |

बोलिए श्री गुरु भगवान् की जय |

December 11, 2017

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